साल 2008 की मंदी के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने पहली बार घटाई ब्याज दरें

फेड की इस घोषणा के बाद कच्चे तेल और सोने की कीमत में गिरावट आ गई है. कच्चा तेल 1.06 डॉलर प्रति बैरल घटकर 63.99 डॉलर पर पहुंच गया.

फेड की इस घोषणा के बाद कच्चे तेल और सोने की कीमत में गिरावट आ गई है. कच्चा तेल 1.06 डॉलर प्रति बैरल घटकर 63.99 डॉलर पर पहुंच गया.

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Aditi Sharma
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साल 2008 की मंदी के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने पहली बार घटाई ब्याज दरें

अमेरिकी अर्थव्यवस्था में फिर किसी गिरावट की आशंका से बचने के लिए अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें घटाने का ऐलान किया है. साल 2008 की मंदी के बाद अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने पहली बार ऐस किया है. इस फैसले के तहत केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने तय किया है इंटरेस्ट रेट को 2 से 2.25 के बीच रखा जाएगा. इसी के साथ फेड ने बेंचमार्क दरों में करीब चौथाई फीसदी की कटौती कर दी है. फेड ने दो दिवसीय बैठक के बाद ये फैसला लिया. 

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वहीं फेड की इस घोषणा के बाद कच्चे तेल और सोने की कीमत में गिरावट आ गई है. कच्चा तेल 1.06 डॉलर प्रति बैरल घटकर 63.99 डॉलर पर पहुंच गया. अमेरिका में अक्टूबर के लिए गोल्ड फ्यूचर का निपटान 0.4 फीसदी घटकर 1,431.80 डॉलर प्रति औंस हुआ है. अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार पिछले सप्ताह तकरीबन 85 लाख बैरल घट गया.

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इससे पहले केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा था कि अमेरिका में तेल का भंडार घटने से कीमतों को सपोर्ट मिलेगा लेकिन इस समय पूरा ध्यान फेड की बैठक के नतीजे पर है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक अपनी दो दिवसीय बैठक के आखिर में बुधवार को ब्याज दर घटाने के संबंध में अपने फैसले का एलान किया. इस पर उन्होंने कहा कि ब्याज दरों में कटौती से डॉलर कमजोर होगा जिससे तेल के दाम को सपोर्ट मिलेगा.

वहीं, एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (एनर्जी व करेंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने कहा कि कच्चे तेल के दाम को खाड़ी क्षेत्र में जारी तनाव और अमेरिका में तेल का भंडार घटने से सपोर्ट मिलेगा लेकिन सबसे ज्यादा असर अमेरिका-चीन व्यापारिक वार्ता का होगा, जिसके कारण तेल की मांग में लगातार नरमी बनी हुई है.

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वही दूसरी तरफ फेड के मुताबिक अमेरिकी अर्थव्यवस्था को स्वस्थ रखने के लिए ब्याज दरों में कटौती जरूरी होगी. क्योंकि उसके पास पहले से ही काफी सीमित हथियार हैं. 

Source : News Nation Bureau

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