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आईएसआई चीफ के साथ अब्दुल गनी बरादर की वायरल हुई तस्वीर, जानें सच

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मचे संकट के बीच एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.

Updated on: 26 Aug 2021, 02:29 PM

highlights

  • आईएसआई चीफ के साथ अब्दुल गनी बरादर की वायरल हुई तस्वीर
  • जुगलबंदी ने दिया कई सवालों को जन्म 

नई दिल्ली:

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में मचे संकट के बीच एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. तस्वीर में तालिबान के प्रमुख नेता अब्दुल गनी बरादर और आईएसआई (ISI) चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद एक साथ दिख रहा है. तस्वीर ने चिंता बढ़ा दी है कि कहीं इन दोंनों के जुगलबंदी में पटकथा तैयारी तो नहीं की जा रही है? वायरल तस्वीर ने कई सवालों को जन्म दे दिया है. तस्वीर देखकर लगता है कि तस्वीर या तो बहुत पहले की है या फोटो एडिटिंग का कमाल है. 

वायरल तस्वीर का पुराना होने का दावा क्यों? 

वायरल तस्वीर में दिख रहे सभी लोग नमाज पढ़ते नजर आ रहा है. वायरल तस्वीर में कुल 7 लोग दिख रहे हैं. उन 7 लोगों में तालिबान के प्रमुख नेता अब्दुल गनी बरादर और आईएसआई (ISI) चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद भी शामिल है. तस्वीर को देख कर लग रहा है कि यह उस समय की है जब गनी दोहा में रह रहा था. क्योंकि गनी के साथ दिख रहे लोग उसके स्टाफ मेंबर है. बहरहाल गनी अफगानिस्तान में है और तस्वीर में दिख रहे लोग उसके साथ नहीं है. इस वजह से तस्वीर के पुरानी होने की संभावना अधिक है. मतलब साफ है कि यह तस्वीर तब की है जब गनी दोहा में रह रहा था. 

फोटो एडिटिंग का कमाल?  
आईएसआई प्रमुख के साथ अब्दुल गनी बरादर की तस्वीर फोटो एडिटिंग का कमाल हो  सकता है. दरअसल में तस्वीर में दिख रहे सभी लोग नमाज पढ़ते नजर आ रहा है. तस्वीर में दिख रहे सभी ने सिर पर टोपी या पकड़ी बांध रखी है. सभी नमाज अदा करने की पोजिशन में साफ नजर आ रहाे हैं. लेकिन आईएसआई (ISI) चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद इन सबसे हटके नजर आ रहा है. 

कौन है तालिबान? 

तालिबान की शुरुआत नब्बे के दशक में हुई. इतिहास के जानकारों के मुताबिक जब अपने सैनिकों को सोवियत संघ अफगानिस्तान से वापस बुला रहा था, उसी दौर में तालिबान का उदय हुआ. आधिकारिक तौर पर तालिबान की स्थापना एक से समुदाय ने 1994 में की थी. तालिबान को लेकर तो बहुत किस्से हैं उनमें प्रमुख किस्सा उसके नाम को लेकर है. कहा जाता है कि पश्तो जुबान में छात्रों को तालिबान कहा जाता है.