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'मुंबई हमलों के बाद मुसलमानों के डर से मनमोहन सरकार ने नहीं किया पाकिस्तान पर हमला'

ओबामा ने लिखा है कि मनमोहन सिंह चिंतित थे कि मुस्लिम-विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं, जिससे बीजेपी की ताकत बढ़ रही है. ऐसे में इस हमले के बाद वे और मुखर हो सकती हैं.

Updated on: 18 Nov 2020, 11:30 AM

वॉशिंगटन:

घरेलू मोर्चे पर जम्मू-कश्मीर के 'गुपकार गैंग' समेत 'चुनावी हार' के बाद जवाबदेही से कतराने संबंधी तीखे आरोपों से घिरी कांग्रेस के लिए बाहरी दुनिया भी कम चुनौती पेश नहीं कर रही है. खासकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' के कई खुलासों ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक तरह से कहें तो ओबामा की नई किताब भारत की राजनीति को भी गर्माने लगी है. उनकी नई किताब में एक जगह दावा किया गया है कि पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मुंबई के 26/11 हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रहे थे. हालांकि, इसका उन्हें राजनीतिक नुकसान भुगतना पड़ा. ओबामा ने लिखा है कि मनमोहन सिंह चिंतित थे कि मुस्लिम-विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं, जिससे बीजेपी की ताकत बढ़ रही है. ऐसे में इस हमले के बाद वे और मुखर हो सकती हैं. 

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मनमोहन सरकार को डर था कि बीजेपी को मिलेगा फायदा
ओबामा की किताब 'ए प्रॉमिस्ड लैंड' भारत में एक हफ्ते में दूसरी बार चर्चा में है. किताब के एक हिस्से में सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी का जिक्र है. ओबामा ने अपनी किताब में लिखा है, उन्हें (मनमोहन को) डर था कि देश में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के असर से मुस्लिम-विरोधी भावनाएं बढ़ रही हैं. वहीं, ओबामा ने यह भी कहा है कि राजनीतिक दलों के बीच कटु विवादों, विभिन्न सशस्त्र अलगाववादी आंदोलनों और भ्रष्टाचार घोटालों के बावजूद आधुनिक भारत की कहानी को कई मायनों में सफल कहा जा सकता है. 

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सोनिया गांधी ने इसलिए बनाया था मनमोहन को पीएम
ओबामा के मुताबिक, सोनिया ने मनमोहन सिंह को इसलिए प्रधानमंत्री बनाया, क्योंकि वो चाहती थीं कि राहुल गांधी के लिए भविष्य में कोई चुनौती खड़ी न हो सके. कई सियासी जानकार मानते हैं कि सोनिया ने मनमोहन को बहुत सोच समझकर पीएम बनाया. सिंह का कोई पॉलिटिकल बेस भी नहीं था. सच्चाई कुछ और है. दरअसल, सोनिया नहीं चाहती थीं कि उनके 40 साल के पुत्र राहुल गांधी के राजनीतिक भविष्य को कोई खतरा हो. वे राहुल को कांग्रेस की कमान सौंपने के लिए भी तैयार कर रही थीं. चार दिन पहले इसी किताब (संस्मरण) का एक और हिस्सा सामने आया था. इसमें ओबामा ने कहा था- राहुल उस स्टूडेंट की तरह हैं, जो टीचर को इम्प्रेस करने के लिए तो उत्सुक है, लेकिन सब्जेक्ट का मास्टर होने के मामले में योग्यता या जुनून की कमी है. यह राहुल की कमजोरी है.

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डिनर डिप्लोमेसी की माहिर हैं सोनिया
अपनी किताब में ओबामा ने एक डिनर का भी जिक्र किया है. यह ओबामा के सम्मान में मनमोहन सिंह ने होस्ट किया था. सोनिया और राहुल इसमें शामिल हुए थे. ओबामा लिखते हैं- सोनिया बोलने से ज्यादा सुनना पसंद कर रही थीं. जैसे ही पॉलिसी मैटर की तरफ बात होती तो वह बातचीत का रुख अपने बेटे राहुल की तरफ मोड़ देतीं. अब मेरे सामने साफ हो गया था कि सोनिया इंटेलिजेंट हैं और इसे जाहिर भी कर देती हैं. राहुल स्मार्ट और जोशीले दिखे. उन्होंने मेरे 2008 के इलेक्शन कैम्पेन के बारे में भी सवाल किए. अपनी किताब में ओबामा ने यह भी लिखा है कि 1990 के दशक में भारत मार्केट बेस्ड इकोनॉमी था. मिडिल क्लास तेजी से ग्रोथ कर रहा था. इसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अहम योगदान था.