9 सितंबर 2001 की सुबह का वो मंजर शायद अमेरिका कभी भूला नहीं पाएगा। नई सदी के आगमन का क्रेज अभी सही से थमा भी नहीं था कि दुनिया ने सबसे ताकतवर देश अमेरिका की धरती में आतंकवाद का वीभत्स रूप देखा था।
9 सिंतबर 2001 की सुबह जब ज्यादातर लोग अपने दफ्तर जा रहे थे। तभी अमेरिका की सबसे बड़ी बिल्डिंग वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकियों की तबाही की मंजर पूरी दुनिया ने देखा।
अमेरिका की ट्विन टावर पर हुए इस हमले ने अमेरिका की अंतरआत्मा हिला कर रख दी और पहली बार दुनिया ने भारत की आंतकवाद के खिलाफ जारी जंग को मर्म समझा।
अमेरिका ने इस हमले के मास्टरमाइंड को ढूंढने के लिए दिन-रात एक कर दिया और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने अलकायदा के सरगना को ढूंढ निकालने के लिए अफगानिस्तान को खंगालना शुरु कर दिया और अफगानिस्तान पर हमला कर दिया।
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9/11 हमले के बाद से अलकायदा के खिलाफ अफ़गानिस्तान में जारी अमेरिका की खोज को आखिर में ब्रेक मिला साल 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में।
9/11 हमले के पूरे एक दशक बाद अमेरिका ने इस हमले के मास्टरमाइंड और अल कायदा सरगना ओबामा बिन लादेन को पाकिस्तान के एबटाबाद में ढूंढ निकाला और एयर स्ट्राइक हमले में मार डाला।
9/11 हमले को पूरे 16 साल हो चुके हैं। इन 16 सालों में आतंकवादी गतिविधियों में कोई कमी नहीं आई है बल्कि यह पहले से और मुखर हो गया है। आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आईएसआईएस।
16 साल से आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहा अमेरिका लाखों अमेरिकी जवान खो चुका है और अपने देश के अंदर ही सवालों का सामना कर रहा है। बावजूद इसके तालिबानी खतरे को काबू में नहीं कर सका है।
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अमेरिकी पत्रकारों की तालिबान द्वारा की गई निर्मम हत्या और उसका सनसनीखेज वीडियो अमेरिका की इस नाकामयाबी को उजागर करता है।
युद्द की निंदा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और यहां तक की डेमोक्रेटिक पार्टी के डोनल्ड ट्रंप पार्टी की नीति के उलट युद्द से परहेज करने वाले नवनियुक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप भी अपनी नीति को छोड़ इसके खिलाफ जंग लड़ने को मजबूर है।
नोबेल पुरस्कार स्वीकार करते वक्त बराक ओबामा की स्पीच में इसाक दर्द दिखा भी था। उन्होंने कहा था, 'मैं मार्टिन लूथर किंग के उस बयान को ध्यान में रखता हूं, जब उन्होंने कहा था - "हिंसा कभी स्थायी शांति नहीं लाती है। यह कोई सामाजिक समस्या नहीं हल करती है, यह केवल नए और अधिक जटिल लोगों को उत्पन्न करती है।"'
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हालांकि अमेरिका के पास पीछे हटने का कोई विकल्प ही नहीं हैं, क्योंकि हल्की सी ढील इलाके में और कट्टरपंथियों के तालिबान में बदलने के लिए तैयार है। इसी के तह्त डोनल्ड ट्रंप ने हाल ही में अपनी अफगान नीति में इसके साफ और मजबूत संकेत दे दिए हैं।
उन्होंने कहा, 'हम सेना की संख्याओं या आगे की सैन्य गतिविधियों के बारे में हमारी योजनाओं के बारे में बात नहीं करेंगे।' उन्होंने अपनी नीति के बारे में ज़ोर देकर कहा कि अमेरिकी सेना जीतने के लिए लड़ेंगी।
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Source : Shivani Bansal