मिस्र की राजधानी काहिरा की एक अदालत ने देश के पूर्व एटॉर्नी जनरल की हत्या में संलिप्तता को लेकर शनिवार को 31 लोगों को मौत की सजा सुनाई।
एक समचार एजेंसी एफे के मुताबिक जुलाई 2013 में मोहम्मद मुर्सी के तख्तापलट के बाद राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने 63 वर्षीय हिशाम बरकत को देश का एटॉर्नी जनरल नियुक्त किया था, जिनकी जून 2015 में हत्या कर दी गई थी।
हत्याकांड में 31 लोगों को सुनियोजित हत्या, आतंकवादी समूह से ताल्लुक रखने, विदेशी आतंकवादी संगठन में शामिल होने, विस्फोटक बनाने व रखने, अवैध तौर पर बंदूक व ब्लेड रखने, अवैध रूप से सीमा पार करने और जासूसी के लिए आरोपित किया गया था।
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अभियोजन पक्ष ने उन्हें मुस्लिम ब्रदरहुड और फिलिस्तीनी इस्लामिक मूवमेंट हमास से ताल्लुक रखने का भी आरोपी बनाया था। मुस्लिम ब्रदरहुड को मिस्र की मौजूदा सरकार आतंकवादी संगठन मानती है।
फैसले को मिस्र के मुफ्ती के पास भेज दिया गया है। फैसले पर अब मुफ्ती विचार करेंगे, हालांकि न्यायालय उनका फैसला मानने को बाध्य नहीं है। अंतिम फैसला 22 जुलाई को आएगा।
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Source : IANS