लाहौर में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) इस्लामिक पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ हुई झड़प में तीन पुलिसकर्मी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। डॉन की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई।
लाहौर के डीआईजी (ऑपरेशन) प्रवक्ता मजहर हुसैन ने एक बयान में मारे गए दो अधिकारियों की पहचान अयूब और खालिद के रूप में की है।
तीसरे अधिकारी की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन प्रांतीय मुख्यमंत्री के एक बयान में कहा गया है कि तीन पुलिसकर्मी मारे गए।
हुसैन ने कहा कि कई अन्य लोग भी घायल हो गए जिन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया।
उन्होंने कहा, प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर पेट्रोल बम भी फेंके। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तहस-नहस करने से रोकने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, गुस्से में भीड़ ने लाठियों का भी इस्तेमाल किया और पथराव भी किया। उन्होंने कहा कि अधिकारी हिंसा के बावजूद संयम दिखा रहे हैं।
डॉन की रिपोर्ट में कहा गया है कि टीएलपी के मीडिया समन्वयक सद्दाम बुखारी ने कहा कि पुलिस ने शांतिपूर्ण रैली पर हमला किया जो इस्लामाबाद जा रही थी।
एक अलग बयान में, पाकिस्तान में प्रतिबंधित समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने इतिहास में सबसे खराब गोलाबारी की घटन को सहन किया और माओ कॉलेज पुल के पास हर तरफ से हमला किया गया।
शुक्रवार देर रात तक, प्रदर्शनकारी आजादी चौक पहुंचने में कामयाब हो गए थे, जहां उन्होंने रात के लिए धरना दिया।
समूह के नेताओं ने कहा कि वे सवेरा होते ही इस्लामाबाद के लिए रवाना होने की योजना बना रहे हैं।
प्रवक्ता ने दावा किया कि कम से कम 500 कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए जबकि कई की मौत हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि लाहौर में हिंसा भड़कने के बाद, प्रतिबंधित समूह द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जब तक टीएलपी प्रमुख साद हुसैन रिजवी को रिहा नहीं किया जाता है, तब तक बातचीत नहीं होगी।
समूह के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, उन्होंने हमें बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन हमारे कार्यकर्ताओं पर पीछे से हमला किया गया। उन्होंने दावा किया कि हजारों गंभीर रूप से घायल हो गए थे और कई को गोली लगी थी।
प्रवक्ता ने कहा, अब, केवल टीएलपी प्रमुख ही वार्ता का नेतृत्व करेंगे।
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Source : IANS