'मैं भारत पर 0 प्रतिशत टैरिफ रखता, 50 प्रतिशत नहीं', अमेरिका में उठे ट्रंप विरोधी सुर

एडवर्ड प्राइस ने कहा कि मैं पहले सोचता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अर्थशास्त्र की बहुत कम समझ है और अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं गलत था.

एडवर्ड प्राइस ने कहा कि मैं पहले सोचता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अर्थशास्त्र की बहुत कम समझ है और अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं गलत था.

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Mohit Sharma
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trump tariffs india Photograph: (Social Media)

ट्रंप टैरिफ वॉर के बीच अमेरिका के स्वतंत्र विश्लेषक और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एडवर्ड प्राइस ने भारत को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड़ ट्रंप की नीतियों पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्मार्ट हैं, वे अपने पत्ते खेल रहे हैं और अमेरिका को याद दिला रहे हैं कि उनके पास विकल्प हैं. सेंटर फॉर ग्लोबल अफेयर्स के सहायक प्रशिक्षक और स्कूल ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, एनवाईयू के स्वतंत्र विश्लेषक एडवर्ड प्राइस ने एससीओ शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन के बीच हुई बैठक पर कहा कि मुझे नहीं पता कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किसी का भी प्रभावी ढंग से मुकाबला कर पा रहे हैं. ऐसा लगता है कि वे व्लादिमीर पुतिन को जो चाहें दे सकते हैं. राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ टैरिफ युद्ध में वे अपनी सीमा नहीं बनाए रख पा रहे हैं. हां, उन्होंने भारत को रूस और चीन के करीब जरूर ला दिया है. ऐसा नहीं है कि भारत, चीन और रूस सबसे अच्छे दोस्त हैं... इतिहास के संदर्भ में यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चीन और रूस के बीच एक-दूसरे के प्रति लंबे समय से शिकायतें रही हैं... चीन और भारत के बीच सभ्यतागत मतभेद बहुत गहरे हैं और सीमा विवाद भी है. राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को पुतिन और शी के करीब ला दिया है.

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ट्रंप ने भारत-अमेरिकी रिश्तों को नुकसान पहुंचाया

एडवर्ड प्राइस ने कहा कि मैं पहले सोचता था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अर्थशास्त्र की बहुत कम समझ है और अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं गलत था. दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति को अर्थशास्त्र की कोई समझ ही नहीं है, भारत के प्रति उनके व्यवहार को देखते हुए... खासकर वर्तमान समय में, अमेरिका और भारत के बीच इस तरह टकराव की कोई वजह नहीं है. यह ज़रूरी नहीं था और यह पूरी तरह से अमेरिका का किया धरा है... भारत एक विकासशील अर्थव्यवस्था है, इसलिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की पूरी अवधारणा यह थी कि जो अर्थव्यवस्थाएं विकसित नहीं, बल्कि विकासशील थीं, उन्हें वस्तुओं पर ज़्यादा शुल्क लगाने का अधिकार मिल जाएगा. मुझे सच में समझ नहीं आ रहा कि वह किस बारे में बात कर रहे हैं और उन्होंने भारत और अमेरिका के रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है. या तो वह अमेरिकी राष्ट्रीय हित को नहीं समझते या फिर सक्रिय रूप से इसके ख़िलाफ़ काम कर रहे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप पर साधा निशाना

पूर्व अमेरिकी एनएसए जेक सुलिवन द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप पर पाकिस्तान में अपने परिवार के व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के साथ वाशिंगटन के संबंधों का त्याग करने का कथित आरोप लगाने पर एनवाईयू के प्रोफेसर और स्वतंत्र विश्लेषक एडवर्ड प्राइस ने कहा कि ऐसा लगता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के सक्रिय वित्तीय हित हैं और यह उस पारंपरिक धारणा से अलग है जो हमेशा से रही है, यानी राष्ट्रपतियों के सक्रिय वित्तीय हित नहीं होने चाहिए और मुझे यह कहते हुए डर लग रहा है कि हम कभी नहीं जान पाएंगे, उन हितों की तह तक पहुंचना लगभग असंभव है. 

नवारो की बात को भारतीय गंभीरता से नहीं लेंगे

वे आगे कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि नवारो की किसी भी बात को कोई गंभीरता से क्यों लेगा. उनका एक प्रभावशाली पद है और इसीलिए हम इस समय उनके बारे में बात कर रहे हैं और भारतीय शायद ही इस पर भारतीय ध्यान देंगे. उन्होंने कहा कि यह मोदी का युद्ध नहीं है. यह पुतिन का युद्ध है. मेरे लिए यह बहुत अजीब है कि अमेरिका में एक अधिकारी ऐसी टिप्पणी कर रहा है. अगर मैं अमेरिकी व्यापार नीति चला रहा होता, तो मैं भारत पर टैरिफ 0 प्रतिशत रखता. 50 प्रतिशत नहीं.

भारत 21वीं सदी में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी

एडवर्ड प्राइस ने कहा कि मैं भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी को 21वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी मानता हूँ. यह साझेदारी तय करेगी कि चीन और रूस के बीच क्या होता है. 21वीं सदी में भारत के पास निर्णायक वोट है. भारत 21वीं सदी में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और आगे और भी शक्तिशाली बनने की ओर अग्रसर है. हमें भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ हटाकर उसे कहीं अधिक उचित स्तर पर लाना होगा. मैं शून्य प्रतिशत टैरिफ का सुझाव देता हूँ और इसके लिए क्षमा चाहता हूँ.

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