भारत-पाक मध्यस्थता का दावा करने वाले ट्रंप को बड़ा झटका, बढ़ते कर्ज को लेकर मूडीज ने गिराई रेटिंग

ऐसे में अमेरिका में आने वाली सरकारों के सामने संकट खड़ा हो सकता है. अगर आने वाली सरकारें फिस्कल डेफिसिट और कर्ज पर लगाम नहीं लगाती तो इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता आ सकती है.

ऐसे में अमेरिका में आने वाली सरकारों के सामने संकट खड़ा हो सकता है. अगर आने वाली सरकारें फिस्कल डेफिसिट और कर्ज पर लगाम नहीं लगाती तो इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता आ सकती है.

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Mohit Sharma
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Donald Trump Hindi News

Donald Trump News Photograph: (Social Media)

भारत और पाकिस्तान युद्ध में मध्यस्थता कराने का दावा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को यह झटका ग्लोबल रेटिंग एजेंसी Moody’s Investors Service ने दिया है. रेटिंग एजेंसी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को Aaa से घटाकर Aa1 कर दिया है. मूडीज के इस कदम के पीछे अमेरिका के तेजी के साथ बढ़ते कर्ज और भारी फिस्कल डेफिसिट व ब्याज भुगतान के बढ़ते प्रेशर को कारण माना जा रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में अमेरिका पर कुल कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर तक जा पहुंचा है. लिहाजा मूडीज जैसी रेटिंग एजेंसियों को सख्त कदम उठाने पड़ रहे हैं. 

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1991 से अब तक Aaa मेंटेन किए हुए थी रेटिंग

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार न तो अमेरिकी प्रशासन यह तय कर पाया है कि लगातार हो रहे घाटे और ब्याज के खर्चों को कैसे नियंत्रित किया जाए और न कांग्रेस ने ही इस दिशा में कोई कदम उठाया है. यही वजह है कि विश्व की सबसे बड़ी इकॉनिमी कहलाए जाने वाले अमेरिका की फाइनेशियल कंडीशन धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मूडीज अमेरिका की रेटिंग को 1991 से अब तक Aaa मेंटेन किए हुए थी. बड़ी बात यह है कि यह तीन मुख्य रेटिंग एजेंसियों में सबसे आखिरी थी, जिसने अमेरिका की टॉप रेटिंग को डाउनग्रेड करने का काम किया है. 

अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बनेगा दबाव

मूडीज के कदम का असर अमेरिका का बाजार पर देखा गया. शुक्रवार को अमेरिकी बांड यील्ड में तेजी दर्ज की गई. इस दौरान दो वर्षीय ट्रेजरी यील्ड बढ़कर 3.993 प्रतिशत तक पहुंची और 10 वर्षीय ट्रेजरी यील्ड बढ़ोतरी के साथ 4.499 प्रतिशत हो गई. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मूडीज के इस फैसले का असर अमेरिका की फाइनेंशियल पॉलिसी और खर्चों पर सवालिया निशान लगा सकता है. ऐसे में अमेरिका में आने वाली सरकारों के सामने संकट खड़ा हो सकता है. अगर आने वाली सरकारें फिस्कल डेफिसिट और कर्ज पर लगाम नहीं लगाती तो इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता आ सकती है. साथ ही अमेरिका की  पर दबाव बन सकता है. 

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