इस देश में नहीं पढ़ी जुमे की नमाज तो होगी जेल, भारी-भरकम जुर्माना भी वसूलेगी सरकार

मलेशिया का एक प्रदेश है, जहां की सरकार ने ऐलान किया है कि अगर किसी वैध कारण के बिना प्रदेश का कोई भी मुस्लिम पुरुष जुमे की नमाज के लिए मस्जिद नहीं जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

मलेशिया का एक प्रदेश है, जहां की सरकार ने ऐलान किया है कि अगर किसी वैध कारण के बिना प्रदेश का कोई भी मुस्लिम पुरुष जुमे की नमाज के लिए मस्जिद नहीं जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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Jalaj Kumar Mishra
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Malaysia State new rule for Friday Namaz

File Photo (AI)

दुनिया का एक मुस्लिम देश ऐसा है, जहां के मुस्लिम मर्दों के लिए कानून पास किया गया है. इस कानून के तहत अगर मुस्लिम पुरुष जुमे की नमाज वैध कारण के बिना पढ़ने नहीं जाएंगे तो उन्हें कारावास और फाइन की सजा भुगतनी होगी. ये देश कोई और नहीं बल्कि भारत का पड़ोसी देश मलेशिया है. 

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मलेशिया के तेरेंगानु राज्य के इस फैसले को धार्मिक अनुशासन लागू करने की पहल कहा जा रहा है. पैन मलेशियाई इस्लामिक पार्टी के शासन वाले तेरेंगानु राज्य ने सोमवार को ऐलान किया कि जो मुस्लिम पुरुष बिना किसी वैध कारण के जुमे की नमाज छोड़ते हैं तो उन्हें दो साल तक की जेल होगी और उन्हें करीब 61 हजार रुपये तक का भुगतना पड़ सकता है.

अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता का प्रतीक है जुमे की नमाज

तेरेंगानु राज्य के सूचना उपदेश और शरिया सशक्तिकरण मंत्री मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने कहा कि मुसलमानों को याद दिलाने के लिए ये कानून है कि जुमे की नमाज सिर्फ एक धार्मिक प्रतीक नहीं है बल्कि अल्लाह के प्रति आज्ञाकारिता का प्रतीक है. 

पहले प्रदेश में था ये कानून

बता दें, तेरेंगानु राज्य में इससे पहले कानून था कि अगर कोई पुरुष लगातार जुमे की तीन नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद नहीं जाता था तो उसे अपराधी माना जाता था. हालांकि, अब नए संशोधन के बाद एक बार भी नमाज न पढ़ने वाले व्यक्ति को सजा मिलेगी.  

चुनावों में मिलेगा बंपर फायदा

बता दें, पीएएस खुद का इस्लामिक रक्षक बताकर वोटरो के बीच जाता है. पार्टी इस कानून से खुद की छवि को और सुधारने की कोशिश करेगी. तेरेंगानु की आबादी करीब 12 लाख है, 99 प्रतिशत से अधिक लोग इसमें मुस्लिम हैं. पीएएस ने 2022 विधानसभा चुनावों में इसी छवि के साथ 32 सीटें जीती थी और विपक्ष को पूर्ण रूप से खत्म कर दिया था. प्रदेश में दो बाद फिर से चुनाव होने वाले हैं और इस प्रकार के कानून से पार्टी खुद की धार्मिक छवि को और कट्टर बना सकती है, जिससे चुनाव में उसे फायदा पहुंचेगा. 

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