अब इस देश में भी युवाओं ने गिरा दी सरकार, जानें क्या था मुद्दा

दुनियाभर के कई देशों में इन दिनों युवा शक्ति का असर देखने को मिल रहा है. फिर चाहे वह भारत के पड़ोसी मुल्क हों या फिर भी अफ्रीकी. कई जगहों पर युवाओं ने या तो सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है

दुनियाभर के कई देशों में इन दिनों युवा शक्ति का असर देखने को मिल रहा है. फिर चाहे वह भारत के पड़ोसी मुल्क हों या फिर भी अफ्रीकी. कई जगहों पर युवाओं ने या तो सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है

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Dheeraj Sharma
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Madagascar Government Dissolve

Madagascar Government: दुनियाभर के कई देशों में इन दिनों युवा शक्ति का असर देखने को मिल रहा है. फिर चाहे वह भारत के पड़ोसी मुल्क हों या फिर भी अफ्रीकी. कई जगहों पर युवाओं ने या तो सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया है या फिर तख्तापलट कर दिया है. ताजा मामला हमने नेपाल में देखा. जहां कुछ दिनों के अंदर ही केपी ओली सरकार अपना अस्तित्व खो बैठी. लेकिन युवाओं का प्रदर्शन दुनिया के अन्य देशों में भी जारी है. ऐसा ही एक अफ्रीकी देश है मेडागास्कर जहां युवाओं की ताकत के आगे सरकार को झुकना पड़ा और गवर्नमेंट डिसॉल्व हो गई. आखिर क्यों सरकार ने युवा शक्ति के आगे टेके घुटने आखिर क्या थे मुद्दे. आइए जानते हैं. 

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बिजली और पानी बना सरकार गिरने की वजह

आमतौर पर बिजली और पानी जैसे मुद्दों के लिए जनता सिर्फ बोलती रह जाती है. लेकिन अफ्रीकी देश में इन मुद्दों ने सरकार को हटने पर मजबूर कर दिया.  मामला है अफ्रीका के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित द्वीपीय देश मेडागास्कर का जो इन दिनों उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है.  राजधानी अंतानानारिवो में बिजली और पानी की किल्लत से परेशान युवाओं ने सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जमकर विरोध किया. 

पिछले सप्ताह शुरू हुए प्रदर्शन सोमवार, 29 सितंबर 2025 को हिंसक रूप ले चुके थे. प्रदर्शनकारियों की बढ़ती आक्रोश और जनदबाव के चलते राष्ट्रपति एंड्री रजोएलिना ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर सरकार भंग करने की घोषणा की और जनता से माफी भी मांगी.

विरोध की जड़ बनी बुनियादी सुविधाओं की कमी

इस आंदोलन की सबसे बड़ी वजह देश में बिजली कटौती और जल संकट रही. मेडागास्कर की आबादी लगभग 3 करोड़ है, जिसमें से करीब 75 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं. युवाओं में बेरोजगारी, महंगाई और सरकार की निष्क्रियता को लेकर भारी असंतोष था. कई प्रदर्शनकारियों ने इसे 'दैनिक जीवन पर हमला' करार दिया.  सोशल मीडिया के जरिए संगठित यह आंदोलन केन्या, नेपाल और मोरक्को जैसे देशों के युवा आंदोलनों से प्रेरित दिखाई दिया. 

आंदोलन में फैली हिंसा और लूटपाट

प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालयों से मार्च की शुरुआत की, लेकिन जब पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं तो स्थिति और बिगड़ गई. राजधानी में सुपरमार्केट, बैंक और राजनेताओं के घरों को लूट लिया गया.  संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 100 से अधिक घायल हुए हैं. हालांकि मेडागास्कर सरकार ने इन आंकड़ों को अफवाह करार दिया है. शहर में रातभर कर्फ्यू लगाया गया है जिसे सख्ती से लागू किया जा रहा है. 

राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया और बदलाव का वादा

राष्ट्रपति रजोएलिना, जो 2023 में पुनः निर्वाचित हुए थे, ने इन प्रदर्शनों को अपनी सत्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना है. उन्होंने सरकार को तुरंत भंग करने, लूटपाट से प्रभावित व्यापारियों को सहायता देने और युवाओं से संवाद स्थापित करने की घोषणा की. उन्होंने स्वीकार किया कि सरकार की विफलताएं लोगों की पीड़ा का कारण बनीं और यह भी कहा कि अब नई शुरुआत की आवश्यकता है. 

राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि

मेडागास्कर में यह कोई नई बात नहीं है. 2009 में खुद रजोएलिना ने तख्तापलट करके सत्ता संभाली थी. देश की अर्थव्यवस्था कृषि और खनिजों पर निर्भर है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, महामारी और कुप्रबंधन ने इसे बुरी तरह प्रभावित किया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की आलोचना की है, लेकिन किसी बड़े कदम का इंतजार है. 

बहरहाल मेडागास्कर का यह संकट केवल एक सरकार विरोधी आंदोलन नहीं, बल्कि आवश्यक सुधारों की मांग का प्रतीक है. यदि सरकार मूल समस्याओं का हल नहीं निकालती, तो यह अशांति और भी गंभीर रूप ले सकती है. 

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