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जेंडी वेंस और उषा वेंस Photograph: (ANI)
अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस इन दिनों लगातार विवादों से घिरे हैं.इमिग्रेशन पॉलिसी, नस्लीय प्राथमिकताओं और व्यक्तिगत धार्मिक टिप्पणियों पर उनके हालिया बयान ने राजनीतिक माहौल को और गरम कर दिया है. आलोचकों का कहना है कि वेंस का रुख न केवल विभाजनकारी है, बल्कि उनकी व्यक्तिगत परिस्थितियों को देखते हुए पाखंडी भी प्रतीत होता है.
इमिग्रेशन पर बयान से छिड़ा विवाद
वेंस ने एक्स पर एक पोस्ट में दावा किया कि बड़े पैमाने पर माइग्रेशन “अमेरिकन ड्रीम की चोरी” के बराबर है. उनका तर्क था कि इससे अमेरिकी कर्मचारियों के अवसर कम होते हैं और इस विषय पर उपलब्ध कई सकारात्मक शोध उन लोगों द्वारा प्रायोजित हैं जो पुराने सिस्टम से आर्थिक लाभ प्राप्त करते रहे हैं.
उनके इस बयान को न केवल भ्रामक बताया गया, बल्कि विशेषज्ञों ने इसे आव्रजन के सामाजिक और आर्थिक योगदानों की अनदेखी करने वाला कहा. इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं, जहां कई यूजर्स ने उनकी व्यक्तिगत पृष्ठभूमि और परिवार का हवाला देते हुए तीखा व्यंग्य किया.
पत्नी को लेकर उठे सवाल और आलोचनाएं
सबसे अधिक चर्चित प्रतिक्रिया लेखक और विश्लेषक वजाहत अली की थी, जिन्होंने तंज कसते हुए कहा कि Vance के तर्क के अनुसार उन्हें अपनी पत्नी उषा वेंस, उनके भारतीय परिवार और अपने बच्चों को भी “वापस भेजना” चाहिए.
उषा वेंस भारतीय प्रवासी माता-पिता की बेटी हैं, और यही तथ्य विरोधियों के हाथ एक बड़ा मुद्दा बनकर आया. आलोचकों ने Vance पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी बयानबाजी राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती है.
नस्लीय प्राथमिकताओं पर विवादास्पद टिप्पणी
आव्रजन विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ था कि Vance के एक अन्य बयान ने आलोचना को और बढ़ा दिया. न्यूयॉर्क पोस्ट के एक पॉडकास्ट में उन्होंने कहा कि यह “पूरी तरह उचित” है कि अमेरिकी लोग अपने पड़ोस में रहने वाले लोगों के लिए नस्ल, भाषा या त्वचा के रंग जैसी प्राथमिकताएं रखें.नागरिक अधिकार संगठनों ने इस बयान को खतरनाक और विभाजनकारी बताया. उनका कहना था कि एक शीर्ष सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा दृष्टिकोण सामाजिक एकता को कमजोर कर सकता है.
ट्रम्प गठबंधन और नीति पर रुख
Vance, जिन्हें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का करीबी सहयोगी माना जाता है, ने बाइडन प्रशासन पर आव्रजन प्रणाली को “विभाजन को बढ़ावा देने वाला” करार दिया. जब उनसे पूछा गया कि क्या भविष्य में ट्रम्प प्रशासन सभी अनिर्दिष्ट प्रवासियों को deport करेगा, तो उन्होंने कहा, “हम जितनों को हटा सकें, हटाने की कोशिश करेंगे.” इस बयान ने प्रवासी अधिकार समूहों को और चिंतित कर दिया, जिन्होंने इसे कठोर और मानवीय दृष्टिकोण से परे करार दिया.
पत्नी की हिंदू आस्था पर टिप्पणी
हाल ही में एक कार्यक्रम में Vance ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि उनकी पत्नी उषा एक दिन ईसाई धर्म अपना सकती हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह उनके साथ चर्च जाती हैं. आलोचकों ने इसे उनकी पत्नी की धार्मिक पहचान को कमतर आंकने वाला बताया. बढ़ते विरोध के बाद Vance ने स्पष्टीकरण दिया कि उषा के धर्म परिवर्तन की कोई योजना नहीं है और वह उनकी आस्था का सम्मान करते हैं.
Mass migration is theft of the American Dream. It has always been this way, and every position paper, think tank piece, and econometric study suggesting otherwise is paid for by the people getting rich off of the old system. https://t.co/O4sv8oxPVO
— JD Vance (@JDVance) December 7, 2025
जेडी पर क्या होगा इसका असर?
लगातार बढ़ते विवादों ने Vance की सार्वजनिक छवि पर असर डाला है. विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी कठोर आव्रजन नीति और सांस्कृतिक टिप्पणियां चुनावी माहौल में राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकती हैं. हालांकि Vance ने अपने रुख का बचाव किया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि देश के उपराष्ट्रपति पद पर बैठे नेता को अधिक संवेदनशील और समावेशी होना चाहिए.
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