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पीएम बेंजामिन नेतन्याहू (FILE) Photograph: (ANI)
न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को उस समय तनावपूर्ण माहौल बन गया, जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भाषण देने पहुंचे. नेतन्याहू जैसे ही हॉल में दाखिल हुए, बड़ी संख्या में राजनयिकों ने विरोध जताते हुए सत्र से वॉकआउट कर दिया. यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई को लेकर दुनिया भर में उसे बढ़ती आलोचना और अलगाव का सामना करना पड़ रहा है.
जानकारी के मुताबिक, अरब और मुस्लिम देशों के लगभग सभी प्रतिनिधि भाषण शुरू होते ही बाहर चले गए. उनके साथ अफ्रीका के कई देशों और कुछ यूरोपीय प्रतिनिधियों ने भी वॉकआउट किया. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह विरोध इजरायल पर गाजा में की जा रही कार्रवाई और नागरिकों की मौत को लेकर जताया गया.
हमास के नेता डाले हथियार
नेतन्याहू ने अपने संबोधन में कहा कि इजरायल गाजा में चल रहे अभियान को अंतिम मुकाम तक लेकर जाएगा और यह काम जितनी जल्दी हो सके पूरा किया जाएगा. उन्होंने दावा किया कि इजरायली खुफिया एजेंसियों ने गाजा में फोन नेटवर्क को कंट्रोल कर लिया है, ताकि वहां के लोग उनका भाषण लाइव देख सकें. साथ ही, उन्होंने हमास नेताओं से हथियार डालने और बंधकों को रिहा करने की अपील भी की.
कई देश छोड़ रहे हैं साथ
भाषण से पहले नेतन्याहू ने आदेश दिया कि गाजा पट्टी के चारों ओर लाउडस्पीकर लगाए जाएं, ताकि उनकी बातें सीधे फिलिस्तीनी जनता तक पहुंच सकें. लेकिन इस दौरान हॉल में खाली सीटों की तस्वीरों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल की कूटनीतिक मुश्किलों को उजागर कर दिया. नेतन्याहू इस समय अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में युद्ध अपराधों के आरोपों का सामना भी कर रहे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को छोड़कर, इजरायल के लिए वैश्विक समर्थन लगातार घटता दिख रहा है.
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास किया संबोधित
इसी सत्र से एक दिन पहले फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने भी महासभा को संबोधित किया था. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने उन्हें अमेरिका का वीजा देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण उन्होंने वर्चुअल भाषण दिया. अब्बास ने अपने संबोधन में दोहराया कि फिलिस्तीनी लोग गाजा को कभी नहीं छोड़ेंगे, चाहे उन्होंने कितनी भी पीड़ा क्यों न झेली हो. संयुक्त राष्ट्र में हुई इस घटना ने साफ कर दिया है कि गाजा युद्ध को लेकर इजरायल की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है.
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