भारत के इस पड़ोसी देश में क्या होने वाला है तख्तापलट, क्यों बज रही खतरे की घंटी

भारत के पड़ोसी मुल्क में क्या तख्तापलट की तैयारी चल रही है. दरअसल ये चर्चा ब्रिक्स सम्मेलन के बाद और भी जोर पकड़ रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

भारत के पड़ोसी मुल्क में क्या तख्तापलट की तैयारी चल रही है. दरअसल ये चर्चा ब्रिक्स सम्मेलन के बाद और भी जोर पकड़ रही है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.

author-image
Dheeraj Sharma
New Update
China President xi jinping my retire soon

दुनियाभर में इन दिनों जंग का माहौल है. कई देशों के बीच तनाव चल रहा है. खुद भारत और पाकिस्तान के बीच भी हाल में आतंकवाद को लेकर बड़ा टकराव देखने को मिला. हालांकि फिललहा सीजफायर है लेकिन आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग जारी रहेगी. वहीं अब एक और खबर चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसर भारत के पड़ोसी मुल्क में तख्तापलट की तैयारी तो नहीं चल रही है. क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बिदाई का वक्त आ गया है. दरअसल संकेत तो ऐसे ही मिल रहे हैं. आइए जानते हैं क्यों बजी खतरे की घंटी. 

Advertisment

जिनपिंग की गैर मौजूदगी ने बढ़ाई अटकलें

बता दें कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले कुछ समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों और घरेलू गतिविधियों में अपेक्षाकृत कम सक्रिय नजर आ रहे हैं. खासकर हाल ही में ब्रिक्स सम्मेलन में उनकी गैरमौजूदगी ने अटकलों को और हवा दी है कि क्या शी जिनपिंग अब धीरे-धीरे सत्ता से पीछे हटने की तैयारी कर रहे हैं. 

एक दशक से ज्यादा समय से चीन की सत्ता पर काबिज शी जिनपिंग को लेकर अब यह चर्चा तेज हो गई है कि उनका अगला कदम क्या होगा. ब्रिक्स समिट 2025 में शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी  ने सुर्खियां बंटोरी. 
ऐसा  पहली बार था जब वे अपने कार्यकाल के दौरान इतने महत्वपूर्ण मंच से दूर रहे. उनकी जगह प्रधानमंत्री ली च्यांग ने सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व किया. इसी के साथ यह सवाल उठने लगे कि क्या शी अब चीन की राजनीति में बैकसीट लेने वाले हैं?

पार्टी जिम्मेदारियों से भी दूरी

हाल ही में शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी की कई प्रमुख जिम्मेदारियां अन्य नेताओं को सौंप दी हैं. पार्टी की 24 सदस्यीय राजनीतिक समिति की 30 जून को हुई बैठक में उन्होंने नेताओं से समन्वय, निर्णय प्रक्रिया और प्रमुख कार्यों को प्रभावी तरीके से पूरा करने की अपील की. सरकारी मीडिया शिन्हुआ की मानें तो यह बैठक इस ओर संकेत करती है कि शी अब नीतिगत निर्णयों की जिम्मेदारी नीचे के स्तर पर स्थानांतरित करना चाहते हैं. 

संविधान में खुद किया था बदलाव, अब बदला रुख?

बता दें कि 2018 में शी जिनपिंग ने चीन के संविधान में बदलाव कर यह व्यवस्था समाप्त कर दी थी कि राष्ट्रपति दो बार से अधिक कार्यकाल नहीं ले सकता. इस फैसले के बाद उन्हें "आजन्म राष्ट्रपति" माने जाने लगा, लेकिन अब उनके हालिया कदम यह संकेत दे रहे हैं कि शायद वह अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित करने की सोच रहे हैं. 

आर्मी अधिकारी भी हो गए खफा

चीनी राष्ट्रपति की बिदाई की अटकलों के पीछे पीएलए के बड़े अधिकारियों की नाराजगी भी बड़ा कारण मानी जा रही है. दरअसल नारजगी के पीछे भी एक देश को जिम्मेदार माना जा रहा है और वह है ताइवान. ताइवन लंबे वक्त से चीन की आंखों की किरकिरी रहा है. आर्मी चाहती है यहां पर हमला कर इसे मिलाया जाए, लेकिन जिनपिंग का रवैया अधिकारियों को रास नहीं आ रहा है. यही नहीं जिनपिंग ने बीते कुछ वक्त में पीएलए के कई उच्च अधिकारियों को भी पदों से हटाया है. 

ऐसे में ये अधिकारी भी जिनपिंग से नाराज बताए जा रहे हैं. इनमें रॉकेट आर्मी के अधिकारी भी शामिल हैं जो ताइवान के खिलाफ युद्ध की तैयारी का खाका तैयार करते हैं.  जानकारों की मानें तो  यह सत्ता हस्तांतरण की ओर पहला कदम हो सकता है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि “यह संकेत हो सकता है कि सत्ता का नया चेहरा सामने लाया जा रहा है.” वहीं, दूसरे विशेषज्ञ मानते हैं कि शी अभी भी शीर्ष पर हैं लेकिन प्रशासनिक कार्यों की बजाय रणनीतिक और नीतिगत फैसलों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें - PM मोदी ने एआई पर मिलकर काम करने का किया आह्वान, BRICS देशों को दिया 'AI इम्पैक्ट सम्मेलन'

Latest World News World News China president Xi Jinping china China President Xi Jingpig World News Hindi Xi Xinping
      
Advertisment