ईरान ने लिया अब तक बड़ा फैसला, दुनिया में मच जाएगी अब अफरातफरी

अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के बाद पूरी दुनिया में तेल के लिए अफरातफरी मच जाएगी. दरअसल, ईरान की संसद ने रविवार को एक बड़ा कदम उठाया है.

अमेरिकी हमले के बाद ईरान ने बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के बाद पूरी दुनिया में तेल के लिए अफरातफरी मच जाएगी. दरअसल, ईरान की संसद ने रविवार को एक बड़ा कदम उठाया है.

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Ravi Prashant
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iran Strait of Hormuz

होर्मुज जलडमरूमध्य Photograph: (Google earth)

तेल और गैस के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ा सकंट सामने आते दिख रहा है. ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच अब ईरान की संसद ने रविवार को एक बड़ा कदम उठाया है. दुनिया के सबसे अहम ऑयल रूट हॉर्मुज़ स्ट्रेट को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 

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यह फैसला अमेरिका द्वारा ईरान के Fordow, Isfahan और Natanz के परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद लिया गया है. अब आशंका है कि यह फैसला पूरी दुनिया की ऊर्जा सप्लाई पर भारी असर डाल सकता है. 

हॉर्मुज़ स्ट्रेट क्यों है इतना अहम?

Vortexa के मुताबिक, यह दुनिया का सबसे अहम ऑयल चोकपॉइंट है. सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत और यूएई जैसे बड़े तेल उत्पादक देश इसी रास्ते से एशियाई देशों को तेल भेजते हैं. इसके अलावा कतर, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा LNG (liquefied natural gas) निर्यातक है, वही भी अपना पूरा एलएनजी यहीं से भेजता है. रोजाना करीब 1.8 करोड़ से 2.08 करोड़ बैरल कच्चा तेल और गैस इस मार्ग से गुजरती है यानी पूरी दुनिया की लगभग 20% खपत. 

यह हॉर्मुज़ स्ट्रेट स्थित कहां है?

यह जलडमरूमध्य ईरान और ओमान के बीच स्थित है. यह पर्शियन गल्फ को ओमान की खाड़ी और फिर अरब सागर से जोड़ता है. सबसे संकरा हिस्सा सिर्फ 33 किलोमीटर चौड़ा है, जिसमें एक तरफ जाने और दूसरी तरफ आने की लेन सिर्फ 3 किलोमीटर की है.

ईरान को क्यों है इससे ताकत?

ईरान इस जलडमरूमध्य के उत्तरी हिस्से से सटा हुआ है. पहले भी ईरान कई बार इस मार्ग को बंद करने की धमकी दे चुका है. खासकर जब पश्चिमी देशों ने उस पर प्रतिबंध लगाए. भले ही वो इसे कभी पूरी तरह बंद न कर पाया हो, लेकिन ईरानी नौसेना की मौजूदगी यहां से गुजरने वाले जहाजों को परेशान या रोक सकती है. अगर वाकई यह मार्ग बंद हुआ, तो वैश्विक बाज़ार में तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं.

क्या 1973 जैसा संकट फिर लौटेगा?

1973 में सऊदी अरब सहित अरब देशों ने इज़राइल को समर्थन देने वाले देशों को तेल देना बंद कर दिया था. इससे अमेरिका और यूरोप में पेट्रोल-डीज़ल की भारी किल्लत और कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी. उस समय तेल को राजनीतिक दबाव के हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया था. भले ही आज खाड़ी देशों का अधिकांश तेल एशिया को जाता है, लेकिन जोखिम अब भी बरकरार है. 

भारत के लिए क्या खतरा है?

भारत हर दिन करीब 20 लाख बैरल तेल इसी मार्ग से मंगाता है. लेकिन फिलहाल भारत को गंभीर चिंता की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उसने रूस, अमेरिका और ब्राज़ील जैसे देशों से तेल आपूर्ति के विकल्प बना लिए हैं. हालांकि, अगर ये स्थिति लंबी खिंचती है तो शिपिंग लागत और बीमा प्रीमियम बढ़ सकते हैं, जिससे भारत की जेब पर असर पड़ सकता है. 

ईरान का यह कदम केवल इज़राइल या अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए चेतावनी है. अगर यह रणनीतिक जलमार्ग वाकई बंद हुआ, तो आने वाले दिनों में हम पेट्रोल पंप पर लंबी लाइनें और महंगे तेल का सामना कर सकते हैं. इतिहास गवाह है  तेल अगर बहना बंद हो जाए, तो भू-राजनीति की बिसात पलट जाती है.

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