Iran Nuclear Program: 2002 का खुलासा और 2025 का युद्ध-अधूरी महत्वाकांक्षा या रणनीतिक छल?

ईरान का परमाणु सपना अभी भी अधूरा है या वह अब भी ‘शांतिपूर्ण’ परदे के पीछे सैन्य महत्त्वाकांक्षा छिपाए हुए है. भविष्य में पूरा करेगा.

ईरान का परमाणु सपना अभी भी अधूरा है या वह अब भी ‘शांतिपूर्ण’ परदे के पीछे सैन्य महत्त्वाकांक्षा छिपाए हुए है. भविष्य में पूरा करेगा.

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Madhurendra Kumar
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hassan rouhani

hassan rouhani (social media)

वर्ष 2002 में जब ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पश्चिम को चकमा देने की बात खुले मंच पर स्वीकार की थी, तब दुनिया को पहली बार यह अहसास हुआ कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम न केवल वास्तविक है, बल्कि वह अंतरराष्ट्रीय नियमों की अवहेलना करते हुए गुप्त रूप से आगे बढ़ रहा था. अब दो दशक बाद, जब 2025 में अमेरिका और इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की, यह सवाल फिर जीवित हो उठा है: क्या ईरान का परमाणु सपना अभी भी अधूरा है या वह अब भी ‘शांतिपूर्ण’ आवरण के पीछे सैन्य महत्त्वाकांक्षा छिपाए हुए है और भविष्य में पूरा करेगा.

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सवाल यह भी उठ रहे हैं की जब पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया जैसे देश परमाणु शक्ति बन सकते हैं तो ईरान क्यों नहीं है? चर्चा में यह भी है की ईरान का परमाणु सपना दो दशक के भी क्यों पूरा नहीं हो पाया जबकि कई न्यूक्लियर साइट्स पर यह कार्यक्रम अपनी रफ्तार से चलता रहा?

2002: जब परदा उठा था

अब थोड़ा इतिहास के पन्ने पलटते हैं. 2002 में निर्वासित ईरानी विपक्षी संगठन NCRI यानी नेशनल काउंसिल फॉर रेजिस्टेंस ईरान ने दुनिया को बताया कि ईरान नतांज में गुप्त यूरेनियम संवर्धन केंद्र और अराक में भारी जल रिएक्टर बना रहा है — जिसकी जानकारी IAEA को नहीं दी गई थी. इससे पहले ईरान ने 1968 की परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और 1974 के सेफगार्ड्स समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिनके तहत वह किसी भी  परमाणु गतिविधि की जानकारी देगा.

परंतु NCRI के खुलासों ने यह स्पष्ट कर दिया कि तेहरान इस संधि की अवहेलना करते हुए चुपचाप परमाणु हथियार क्षमता विकसित कर रहा है.

‘शांतिपूर्ण’ कहने का भ्रम, पर इरादे सैन्य?

ईरान ने दावा किया कि उसका परमाणु कार्यक्रम नागरिक उपयोग बिजली उत्पादन और चिकित्सा शोध के लिए है. लेकिन तकनीकी विशेषज्ञों ने तब ही चेताया था कि यदि सेंट्रीफ्यूज की स्पिन गति 25% तक बढ़ा दी जाए, तो वही यूरेनियम संवर्धन हथियार-स्तर तक पहुंच सकता है.

सवाल यह भी उठा

  • यदि ईरान की मंशा वाकई शांतिपूर्ण थी, तो वह इसे गुप्त क्यों रखता?
  • * 2025: 'ऑपरेशन मिडनाइट हैमर' में परमाणु ठिकानों पर हमला*
  • अब, 2025 में, ईरान-इज़राइल युद्ध ने इस परमाणु विवाद को एक विस्फोटक मोड़ पर ला खड़ा किया है.
  • अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ में ईरान के नतांज़, फारदौ और अराक के परमाणु ठिकानों पर GBU-57 बंकर बस्टर बम गिराए.
  • हालांकि अमेरिकी जनरल डैन केन ने कहा कि “ईरानी साइटें इतनी गहराई पर थीं कि मिसाइलें भी पूरी तरह उन्हें ध्वस्त नहीं कर पाईं.”

ईरान के परमाणु कार्यक्रम का भविष्य!

अमेरिकी और IAEA की रिपोर्टों के अनुसार, नुकसान "गंभीर" था लेकिन "स्थायी नहीं".
फारदौ और अराक में हमले के कुछ दिनों के भीतर ही निर्माण गतिविधियां फिर शुरू हो गईं वहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक नतांज को नुकसान हुआ लेकिन इस्फहान में टनल बस्टर बम अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर सका. सेटेलाइट इमेज से यह भी पता चला की कई उपकरणों और यूरेनियम को हमले से पहले ही स्थानांतरित कर दिया गया था.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं: संधियां टूटती हुई?

संयुक्त राष्ट्र, रूस, और चीन ने अमेरिका-इज़रायल के हमलों की आलोचना करते हुए इन्हें NPT के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध बताया. दूसरी ओर, इज़राइल ने कहा कि “यह आत्मरक्षा थी” और ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना ही उद्देश्य था. अमेरिका का भी रुख साफ रहा: “हम ईरान को बम बनाने की सीमा तक पहुंचने नहीं देंगे.”

इतिहास फिर दोहराया गया?

2002 में जो संदेह शुरू हुआ था, वह 2025 में बमों की बरसात में तब्दील हो गया है.
ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब सिर्फ एक तकनीकी परियोजना नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्तित्व, क्षेत्रीय प्रभुत्व, और वैश्विक संतुलन की लड़ाई का हिस्सा बन चुका है. क्या ईरान उस राह पर है जो पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने तय की थी या वह हमेशा के लिए एक अधूरी महत्वाकांक्षा ही रहेगा? 

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