बांग्लादेश से पूर्व पीएम शेख हसीना के जाने बाद से हालात बदतर होते जा रहे हैं. यहां तक की गारमेंट इंडस्ट्री पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है. विदेशों से मिलने ऑर्डर पर भी यह परिस्थिति देखी जा रही है. ग्लोबल रिटेलर्स गारमेंट एक्सपोर्ट के लिए भारत जैसे विकल्पों की तलाश में लगे हैं. शेख हसीना के कार्यकाल में बांग्लादेश में गारमेंट इंडस्ट्री में काफी बूम आया था. मगर हालात बिगड़ते रहे हैं. ऐसे हालात का फायदा भारत को मिलने लगा है. मोदी सरकार ने अपनी टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री की पहुंच को बढ़ाने की कोशिश की है.
अगले माह पेश होने वाले बजट में वित्तीय सहायता, प्रमुख कच्चे माल पर टैरिफ में कटौती और स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन देने पर विचार हो रहा है. इसका अर्थ है कि बांग्लादेश के इस सेक्टर में जो कुछ भी बचा कुचा है, वह अब भारत के हाथों में जाने वाला है.
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विश्लेषकों का कहना है कि बांग्लादेश में जारी राजनीतिक संकट को लेकर ग्लोबल रिटेलर्स का मोह भंग हो चुका है. गारमेंट आयात को लेकर भारत किसी भरोसेमंद देश की तलाश में जुटा हुआ है. भारतीय निर्यातकों को बीते कुद माह बढ़े निर्यात ऑर्डर को पूरा करने में कठिनाई सामना करना पड़ रहा है. कई अमेरिकी कंपनियां अल्टरनेटिव सप्लायर्स की तलाश में जुटी हैं.
भारत का टेक्सटाइल सेक्टर पड़ा भारी
आपको बता दें कि भारत का टेक्सटाइल सेक्टर करीब 4.5 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है. बजट में सरकार आने वाले वर्ष के लिए इसे बढ़ाने की कोशिश में है. अभी यह 44.17 अरब रुपये है. जिसे 10-15 प्रतिशत तक बढ़ाने पर विचार हो रहा. सरकार कपड़ा क्षेत्र में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) के आवंटन को भी बढ़ाना चाहती है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर ये करीब 60 करोड़ रुपये हो सकती है. इस योजना के तहत सरकार स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने वाली कंपनियों को टैक्स प्रोत्साहन और अन्य रियायतें भी दे रही है.
सरकार कच्चे माल और कपड़ा मशीनरी पर टैरिफ में कटौती करने पर विचार कर रही है. बजट में इस तरह का ऐलान हो सकता है. यूएस ऑफिस ऑफ टेक्सटाइल्स एंड अपैरल के आंकड़ों की मानें तो बीते वर्ष जनवरी और नवंबर के बीच बांग्लादेश का अमेरिका को गारमेंट एक्सपोर्ट 0.46 प्रतिशत घटकर 6.7 अरब डॉलर हो गया. वहीं भारत का एक्सपोर्ट 4.25 प्रतिशत से बढ़कर 4.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया.