पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर के प्रत्यर्पण को लेकर विरोध न करने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि यह 'विश्वास बहाली' का उपाय है. इस पर लश्कर प्रमुख के बेटे तल्हा सईद ने नाराजगी व्यक्त की है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष हाफिज सईद और मसूद अजहर के प्रत्यर्पण के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा,"पाकिस्तान के साथ व्यापक वार्ता के हिस्से के रूप में जहां आतंकवाद उन मुद्दों में एक है जिस पर हम चर्चा करते हैं. उन्हें यकीन है कि पाकिस्तान इनमें से किसी भी चीज का विरोध नहीं करेगा."
आतंकी 33 साल की सजा काट रहा है
नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी (Nacta) के अनुसार, पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद दोनों पर प्रतिबंध लगा दिया. 26/11 मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद वर्तमान समय में आतंकी वित्तपोषण के लिए 33 साल की सजा काट रहा है. वहीं मसूद अजहर, जिसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से वैश्विक आतंकवादी घोषित किया गया है, को Nacta की ओर से प्रतिबंधित किया गया है.
अजहर को अपनी हिरासत से रिहा किया था
आपको बता दें कि सईद 2019 से लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है. मसूद अजहर भारत के सबसे वांछित आतंकवादियों में गिना जाता है. उसका देश में कई बड़े हमलों से संबंध है, इसमें 26/11 हमले, 2001 संसद हमला, 2016 पठानकोट एयरबेस स्ट्राइक और 2019 पुलवामा आतंकी हमला को शामिल किया गया है. भारत ने 1999 में फ्लाइट 814 कंधार अपहरण के दौरान बंधकों की अदला-बदली के सौदे के तहत अजहर को अपनी हिरासत से रिहा किया था.
इस बीच, बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान में इन "व्यक्तियों" के खिलाफ़ चलाए गए मामले इस्लामाबाद से जुड़े हैं. जैसे कि आतंकवाद के वित्तपोषण के केस में. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से "अनुपालन न किए जाने" के कारण, पाकिस्तान के लिए सीमा पार आतंकवाद के लिए उन पर मुकदमा चलाना कठिन था.
प्रत्यर्पित करने में कोई बाधा नहीं आएगी
उन्होंने कहा, "भारत कुछ बुनियादी तत्वों का पालन करने से इनकार कर रहा है, जिसके लिए दोषसिद्धि की जरूरत होती है," उन्होंने आगे कहा, "यह महत्वपूर्ण है ... इन अदालतों में सबूत पेश किए जाएं, भारत से लोग गवाही देने आएं, जो भी जवाबी आरोप लगाए जाएं, उन्हें सहन किया जाए." बिलावल ने आगे कहा, "अगर भारत उस प्रक्रिया में सहयोग करने को तैयार है, तो मुझे यकीन है कि किसी भी संबंधित व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने में कोई बाधा नहीं आएगी." उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवादियों से निपटने के भारत के तरीके पर चिंता व्यक्त की. इसे असामान्य बताया. उन्होंने कहा,"यह पाकिस्तान के हितों की पूर्ति नहीं करता है और यह भारत के हितों की पूर्ति नहीं करता है."