जर्मनी में रविवार को राष्ट्रीय चुनाव हुए. चुनाव में चांसलर ओलाफ स्कोल्ज की पार्टी को करारी हाल मिलती दिख रही है. ताजे रुझानों में स्कोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को करारी हार का सामना करना पड़ रहा है. विपक्षी नेता फ्रेडरिक मर्ज की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) की सहयोगी पार्टियां जीत की तरफ हैं. अगर मर्ज की पार्टी जीत जाती है तो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार होगा देश में किसी दक्षिणपंथी सरकार बनेगी.
इस पार्टी को मिले इतने वोट
ताजी जानकारी के अनुसार, CDU और CSU 29 प्रतिशत समर्थन के साथ सबसे आगे हैं. जबकि एक अन्य पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) को 21 प्रतिशत वोट मिले हैं. चांसलर स्कोल्ज की पार्टी एसपीडी महज 15 प्रतिशत समर्थन ही जुटा पाई. हालांकि, 22 प्रतिशत परिणाम बाकी हैं. ये 22 प्रतिशत मतदान चुनाव की दिशा बदलने का दम रखते हैं.
चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने हार स्वीकारी
इधर, स्कोल्ज ने अपनी हाल स्वीकार कर ली है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए ये परिणाम बहुत ही कड़वा है. मेरी पार्टी के लिए ये हार बहुत दर्दनाक है. इसके उलट मर्ज ने अपनी जीत का दावा किया. उन्होंने दावा किया कि जल्द ही वे गठबंधन सरकार की मदद से जर्मनी की सत्ता संभालेंगे.
जर्मनी के चुनाव में प्रमुख मुद्दे
- यूक्रेन युद्ध
- अर्थव्यवस्था की चुनौतियां
- ऊर्जा की ऊंची कीमतें
- अवैध प्रवास
कैसे होता है जर्मनी के चांसलर का चुनाव
जर्मनी की इलेक्शन सिस्टम में मतदाता सीधा चांसलर का चुनाव नहीं करते हैं. वे बुंडेस्टैग के सदस्यों को वोट देते हैं, जो बाद में चांसलर का चयन करते हैं. जर्मनी के मतदाता दो वोट डालते हैं एक स्थानीय प्रतिनिधि को और दूसरा किसी भी राजनीतिक दल के समर्थन में. बुंडेस्टैग में कुल 630 सीटें हैं, जिनमें से 299 सीटों पर सीधा चुनाव होता है. बाकी की सीटें आनुपातिक रूप से पार्टियों को बांटी जाती हैं. अगर किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो गठबंधन सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है.