पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं. दरअसल उनके हालिया परमाणु हमले से जुड़े बयान ने अमेरिका में भी खलबली मचा दी है. एक ऐसे समय में जब वैश्विक शांति और कूटनीति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है, ऐसे में मुनीर की बयानबाजी न केवल तनाव को बढ़ाती है, बल्कि पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचा सकती है. यही नहीं अमेरिका जहां ग्लोबल पीस का हिमायती बन रहा है उसकी साख पर भी सवाल खड़ा हो सकता है. यही वजह है कि मुनीर के बयान पर अब अमेरिका से तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. अमेरिका के पूर्व अधिकारी ने पाक आर्मी चीफ की तुलना आतंकी ओसामा बिन लादेन से की है.
अमेरिका में तीखी प्रतिक्रिया, माइकल रुबिन का बयान
अमेरिका के पूर्व पेंटागन अधिकारी और रक्षा विश्लेषक माइकल रुबिन ने इस बयान पर ती्खी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि यह बयान “पूरी तरह से अस्वीकार्य” है, खासकर जब यह अमेरिका की धरती पर दिया गया हो. रुबिन ने सवाल उठाया कि क्या अब पाकिस्तान को "जिम्मेदार देश" माना जाना चाहिए या उसके पतन का समय आ गया है.
उन्होंने जनरल मुनीर की बयानबाजी की तुलना सीधे ओसामा बिन लादेन से कर दी, जो आतंकवाद के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक है. रुबिन के अनुसार, अमेरिका को पाकिस्तान से "प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी" (Major Non-NATO Ally) का दर्जा तुरंत वापस ले लेना चाहिए.
पाकिस्तान को स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म घोषित करने की मांग
रुबिन ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका को पाकिस्तान को "आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला देश" घोषित कर देना चाहिए. उन्होंने इसे अमेरिका की सुरक्षा और वैश्विक स्थिरता के लिए जरूरी कदम बताया. यही नहीं उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अब अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) से भी हटा देना चाहिए.
अमेरिकी जनरलों पर भी उठाए सवाल
रुबिन ने यह भी कहा कि अमेरिकी धरती पर ऐसी धमकी मिलने के बावजूद अमेरिकी जनरलों ने कोई तीखी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. उन्होंने पूछा कि क्या ऐसे जनरल, जो राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर लापरवाह हैं, उन्हें पद पर बने रहने देना सही है? रुबिन ने सीधे तौर पर उनके इस्तीफे की मांग की.
पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित करने की अपील
माइकल रुबिन ने मांग की है कि जब तक पाकिस्तान औपचारिक रूप से माफी नहीं मांगता और इस बयान पर सफाई नहीं देता, तब तक आसिम मुनीर और अन्य पाकिस्तानी अधिकारियों को अमेरिका में पर्सोना नॉन ग्रेटा (अवांछित व्यक्ति) घोषित कर दिया जाए और उन्हें अमेरिकी वीजा न मिले.
अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों की नई समीक्षा की जरूरत
यह बयान अमेरिकी नीति निर्माताओं के बीच पाकिस्तान को लेकर बढ़ती चिंता को दर्शाता है. साफ है कि अब वॉशिंगटन में पाकिस्तान को लेकर नजरिया बदल रहा है और यह सवाल तेजी से उठ रहा है क्या अब अमेरिका को पाकिस्तान से रिश्तों की पुनर्समीक्षा करनी चाहिए? यह पूरा घटनाक्रम बताता है कि पाकिस्तान की परमाणु नीति और उसकी भाषा अब केवल एक क्षेत्रीय मसला नहीं रह गई, बल्कि यह वैश्विक चिंता का विषय बनती जा रही है.
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