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पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं. दशकों से पाकिस्तानी हुकूमत के शोषण और भेदभावपूर्ण नीतियों से परेशान वहां की आम जनता अब खुलकर सड़कों पर उतर आई है. मुजफ्फराबाद से लेकर कोटली तक भारी प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें हजारों लोग भाग ले रहे हैं. दुकानों का बंद होना, परिवहन सेवाओं का ठप पड़ जाना और सड़कों पर भारी भीड़ यह सब कुछ सामूहिक जनआक्रोश का संकेत है. लगातार बिगड़ रहे हालातों के बीच पीओके में लॉकडाउन लगाए जाने की भी खबरें सामने आ रही हैं.
अवामी एक्शन कमेटी बनी आंदोलन की अगुवा
बता दें कि पीओके में इस विरोध की कमान अवामी एक्शन कमेटी ने संभाली है. ये एक ऐसा नागरिक संगठन जिसने हाल के महीनों में जमीन पर जबरदस्त पकड़ बनाई है. यह संगठन खास तौर पर युवाओं (Gen Z) के बीच लोकप्रिय हो चुका है.
दरअसल कमेटी ने सरकार से 38 सूत्रीय मांगपत्र रखा है जिसमें प्रमुख मांगें हैं:
- PoK विधानसभा में कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटों को खत्म करना
- मंगला डैम से जुड़ी उचित बिजली दरें
- सब्सिडी वाला आटा
- इस्लामाबाद की ओर से किए गए पुराने वादों को लागू करना
इन सभी मांगों के जरिए PoK की जनता अपने आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की बहाली की लड़ाई लड़ रही है.
'हमें अब भी बराबरी का हक नहीं मिला'
मुजफ्फराबाद में आयोजित एक रैली में अवामी एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज मीर ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारा संघर्ष उन बुनियादी अधिकारों के लिए है जो हमें 1947 से ही नहीं मिले। पाकिस्तान हमें अपने नागरिक नहीं, एक कॉलोनी के लोगों की तरह ट्रीट करता है.'
उनका यह बयान वहां की स्थानीय भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जहां लोग अब खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं, बल्कि एक शोषित वर्ग मानने लगे हैं.
इंटरनेट बंद, अतिरिक्त फोर्स तैनात
इन प्रदर्शनों के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी अब PoK की तरफ मुड़ने लगी हैं. लेकिन पाकिस्तानी सरकार, इन आवाजों को दबाने के लिए सख्ती का रास्ता अपना रही है.
कई शहरों में:
- इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं
- अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं
- मुख्य मार्गों पर अवरोधक लगाकर आवाजाही रोकी जा रही है
- मुजफ्फराबाद जैसे शहरों को लगभग लॉकडाउन मोड में ला दिया गया है
बदलाव की मांग अब दबेगी नहीं
PoK में उठ रही यह आवाज अब सिर्फ आर्थिक या राजनीतिक मांगों की नहीं, बल्कि स्वाभिमान और अधिकारों की लड़ाई बन चुकी है. अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में जो आंदोलन खड़ा हो रहा है, वह संकेत है कि पाकिस्तान की पुरानी नीतियां अब वहां नहीं चलेंगी. अगर इस जनक्रांति को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह आने वाले समय में पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता को और गहरा कर सकती है.
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