'अमेरिकी नेताओं को भारत की कोई परवाह नहीं', मशहूर अर्थशास्त्री जेफ्री सैक्स ने अमेरिका को चेताया

प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने भारत-अमेरिका संबंधों पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राजनेता भारत की परवाह नहीं करते हैं और क्वाड में अमेरिका का साथ देने से भारत को चीन के खिलाफ कोई दीर्घकालिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलेगा.

प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स ने भारत-अमेरिका संबंधों पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राजनेता भारत की परवाह नहीं करते हैं और क्वाड में अमेरिका का साथ देने से भारत को चीन के खिलाफ कोई दीर्घकालिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलेगा.

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Ravi Prashant
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इंडिया-अमेरिका रिलेशन Photograph: (X)

अमेरिका के मशहूर अर्थशास्त्री जेफ्री सैक्स ने भारत-अमेरिका संबंधों पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि अमेरिकी राजनेताओं को भारत की कोई परवाह नहीं है, और भारत को क्वाड में अमेरिका का साथ देकर चीन के खिलाफ कोई दीर्घकालिक सुरक्षा लाभ नहीं मिलेगा.

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टैरिफ विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया

सैक्स का यह बयान उस समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले आयात पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला किया. एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत एक महाशक्ति है जिसकी अपनी स्वतंत्र वैश्विक पहचान है.”
अमेरिकी राजनीति में भारत का हित प्राथमिकता पर नहीं है. ट्रंप का टैरिफ लगाने का तरीका असंवैधानिक है. 

ट्रंप का सख्त रुख

टैरिफ के बाद ट्रंप ने साफ कहा कि जब तक यह मुद्दा सुलझता नहीं, भारत के साथ कोई व्यापार वार्ता नहीं होगी. उन्होंने भारत के रूस से तेल और हथियार सौदों पर भी हमला बोला और सोशल मीडिया पर लिखा कि मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है. वे चाहें तो अपनी अर्थव्यवस्थाओं को साथ में डुबो सकते हैं. 

कांग्रेसमैन की आलोचना

अमेरिकी कांग्रेस के प्रभावशाली सदस्य ग्रेगरी मीक्स ने ट्रंप की इस नीति को टैरिफ तांडव करार दिया और चेतावनी दी कि इससे वर्षों की मेहनत से बने अमेरिका-भारत संबंधों को नुकसान पहुंच सकता है. 

व्यापार वार्ता पर संकट

पिछले कुछ महीनों में भारत और अमेरिका के बीच कई दौर की व्यापार वार्ताएं हुईं, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे अहम मुद्दों पर मतभेद के कारण समझौता नहीं हो सका. अगला दौर 25 अगस्त को नई दिल्ली में होना तय था, लेकिन रूस से तेल खरीद पर अतिरिक्त 25% जुर्माना लागू होने से पहले यह वार्ता अधर में लटक गई है. 

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