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Sheikh Hasina: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को ढाका स्थित इंटरनेशनल क्राइम्स ट्राइब्यूनल (ICT) ने 17 नवंबर 2025 को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाते हुए मौत की सजा सुनाई है. उन पर 2024 में देशव्यापी छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और करीब 1400 लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार होने का आरोप है. सजा के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या हसीना इस फैसले के खिलाफ अपील कर सकती हैं और उनके पास आगे कौन से कानूनी विकल्प बचते हैं.
घरेलू अपील का अधिकार, 60 दिनों की सीमा
ICT एक्ट, 1973 की धारा 21 के तहत शेख हसीना को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की अपीलीय डिवीजन में अपील करने का अधिकार है.
- अपील का समय: फैसले की तारीख से 60 दिनों के भीतर
- 60 दिनों में अपील न हुई, तो ICT की सजा अंतिम और लागू मानी जाएगी.
भारत में होने से क्या बच पाएगी
शेख हसीना के भारत में रहने पर उनकी मुश्किल बढ़ सकती है. जी हां भारत में निर्वासन में होना समस्या पैदा कर सकता है, लेकिन तकनीकी रूप से उनके वकील अपील तैयार कर सकते हैं.
अपील से पहले सबसे बड़ा ‘कानूनी पेंच’
ICT के नियमों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने से पहले अभियुक्त को या तो:
अदालत में आत्मसमर्पण करना होगा, या गिरफ्तार होना पड़ेगा
यानी सिर्फ वकील अपील दाखिल नहीं कर सकते. जब तक हसीना स्वयं बांग्लादेश में उपस्थित नहीं होतीं, कानूनी रूप से अपील दाखिल नहीं मानी जाएगी. ट्रायल के दौरान मौजूद होना अनिवार्य नहीं है, लेकिन अपील की शुरुआत के समय उनका 'कस्टडी में होना' अनिवार्य है. ऐसे में भारत में मौजूद हसीना के सामने सबसे बड़ी बाधा वापस जाकर सरेंडर करें या भारत से प्रत्यर्पण का जोखिम उठाएं.
क्या होगा अगर सुप्रीम कोर्ट में की अपील?
अगर हसीना किसी तरह सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर पाती हैं, तो अदालत:
- ICT की सजा को रद्द कर सकती है,
- नई सुनवाई का आदेश दे सकती है, या
- सजा को उम्रकैद या कम अवधि की सजा में बदल सकती है. लेकिन यह तभी संभव होगा जब उनका सरेंडर या गिरफ्तारी का चरण पूरा हो जाता है.
क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की संभावना है?
ICT का फैसला सीधे तौर पर किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत में अपील नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक घरेलू ट्राइब्यूनल है. फिर भी हसीना के पास कुछ अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध हैं-
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति
- एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे वैश्विक मंच
इन जगहों पर वह निष्पक्ष सुनवाई, मानवाधिकार के उल्लंघन और राजनीतिक प्रताड़ना का मुद्दा उठा सकती हैं. लेकिन इन मंचों पर शिकायत दर्ज करने से सजा रुकती नहीं, न ही कानूनी रूप से फैसले को पलटा जा सकता है. ये केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाते हैं.
क्या उन्हें गिरफ्तार या प्रत्यर्पित किया जा सकता है?
चूंकि हसीना भारत में हैं, इसलिए बांग्लादेश उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट जारी कर सकता है. भारत प्रत्यर्पण के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन राजनीतिक परिस्थिति इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है. प्रत्यर्पण न होने पर वे अपील का अधिकार खो देती हैं, क्योंकि ICT की शर्त पूरी नहीं होगी.
क्या हसीना अपील करेंगी?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हसीना निश्चित रूप से अपील करना चाहेंगी, क्योंकि यही एकमात्र प्रभावी कानूनी रास्ता है. लेकिन अपील करने के लिए उन्हें वापस लौटकर कस्टडी में जाना होगा, और यही उनके सामने सबसे बड़ा फैसला है.
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