मिस्र ने गाजा पट्टी की अस्थायी प्रशासनिक जिम्मेदारी को संभालने के लिए प्रस्ताव को सख्ती से खारिज कर दिया. हालांकि उसने इस बात का समर्थन किया वह इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के व्यापक समाधान के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मिस्र के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता तमीम खलफ का कहना है कि इस प्रस्ताव को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने इन प्रस्तावों को पूरी से अधूरा बताया. यह संघर्ष को खत्म करने के बजाय उसे और लंबा खींच सकते हैं.
विदेशी कर्ज को चुकाने में सहायता करे
खलफ ने कहा कि फिलिस्तीनी इलाके एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम आगे फिलिस्तीनी राज्य की जमीन होगी. इन पर केवल फिलिस्तीन का संप्रभुत्व और प्रशासन होना चाहिए. इजरायली विपक्ष के नेता याइर लापिद ने हाल ही में सुझाव दिया कि युद्ध के बाद गाजा का प्रशासन कम से कम आठ वर्षों तक मिस्र को दिया जाएग. इसके बदले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिस्र के विदेशी कर्ज को चुकाने में सहायता करे.
1948 से 1967 तक गाजा का प्रशासन देखा
उन्होंने एक सुरक्षा व्यवस्था का प्रस्ताव भी रखा. उन्होंने कहा कि इजरायल, मिस्र, अमेरिका और अरब देश मिलकर गाजा की सुरक्षा व्यवस्था को संभालें. हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि व्यवस्था किस तरह से काम करेगी. मिस्र ने पहले भी 1948 से 1967 तक गाजा का प्रशासन देखा है. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव पर मिस्र के अधिकारियों से सीधी बातचीत नहीं हुई है. मगर क्षेत्र के अन्य नेताओं से चर्चा की है.
8 बिंदुओं की योजना पेश की है
लापिद के प्रस्ताव के अनुसार, उन्होंने 8 बिंदुओं की योजना पेश की है. जब तक गाजा में अंतिम समझौता नहीं हो जाता, तब तक मौजूदा युद्ध विराम जारी रहेगा. इस बीच सभी बंधकों की रिहाई होगी. इजरायली सेना गाजा की बाहरी सीमाओं पर तैनात रहें. इस योजना में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत मिस्र को गाजा का प्रशासन सौंपने की बात की गई है. इसमें आंतरिक सुरक्षा और नागरिक का केस भी शामिल है. इससे पहले भी मिस्र अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव को ठुकरा चुका है. इसमें अमेरिका के गाजा का नियंत्रण संभालने, वहां के निवासियों को मिस्र और जॉर्डन भेजने और मध्य पूर्व में रिवेरा बनाने की योजना थी.