Manmohan Singh Village: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज हमारे बीच नहीं है. 26 दिसंबर 2024 को 92 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. पाकिस्तान में जन्मे पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान स्थित उनके गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई. जहां के लोग आज भी अपने लाड़ले को याद करते हैं. बता दें कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जन्म ब्रिटिश कालीन भारत में पंजाब प्रांत के गाह गांव में हुआ था. ये स्थान अब पाकिस्तान में है. जब डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हुआ तो भारत ही नहीं बल्कि गाह गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई.
पूर्व पीएम को गांव वालों ने दी श्रद्धांजलि
इस्लामाबाद से करीब 100 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित, गाह गांव में पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह को ग्रामीणों ने श्रद्धांजलि दी. मंगलवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में तमाम लोग शामिल हुए. डॉ. सिंह की के जीवन और उपलब्धियों से गांव के लोग आज भी खुद को गौरवान्वित करते हैं. बता दें कि पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 4 फरवरी, 1932 को गाह में हुआ था. वह 2004 से 2014 तक दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. उन्होंने देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान दिया.
गाह में ही पाई शुरुआती शिक्षा
गाह गांव ने पूर्व पीएम की विरासत को गहराई से संजोकर रखा है. बचपन में उन्हें प्यार से लोग "मोहना" करते थे. उनके पिता गुरमुख सिंह, एक कपड़ा व्यापारी थे जबकि उनकी मां अम्रत कौर गृहणी थी. डॉ मनमोहन सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा स्थानीय सरकारी स्कूल से ग्रहण की. जिसके चलते इस स्कूल को आज भी सम्मान मिलता है. जहां आज भी उनकी स्मृति को बहुत सम्मान दिया जाता है. एक रजिस्टर में उनकी प्रवेश संख्या, 187 और नामांकन की तारीख, 17 अप्रैल, 1937 लिखी हुई है.
पूर्व पीएम की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं गांव के लोग
स्कूल के प्रमुख अल्ताफ हुसैन गर्व से बताते हैं कि, "मैं भी इसी गांव का हूं और मेरे लिए सबसे गर्व की बात यह है कि मनमोहन सिंह मेरे पिता के सहपाठी थे. जब मैं स्कूल गया तो मैंने रिकॉर्ड में उसका नाम देखा. जब भी मैंने अपने स्कूल के रिकॉर्ड में 'मनमोहन सिंह' को देखा, मुझे यह जानकर खुशी और गर्व महसूस हुआ कि हमारे छोटे से गाँव का एक बच्चा, जो ज़मीन पर पढ़ाई करता था, भारत का प्रधानमंत्री बन गया और इसकी अर्थव्यवस्था को संभाला.
गाह के निवासियों के लिए, सिंह की उपलब्धियाँ अत्यधिक गर्व का स्रोत रहीं. एक स्थानीय ग्रामीण मलिक हक नवाज अवान ने नेतृत्व में अपने उत्थान की खुशी को याद किया. उन्होंने कहा कि, "जब वह प्रधानमंत्री बने, तो हमारा गाँव खुशी से झूम उठा. जिस तरह हमने उस समारोह का जश्न मनाया था, उसी तरह हमारा गांव अब उनके निधन पर गहरा और अपार दुख व्यक्त करता है."