अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म कराने प्रण लिया था. प्रचार के समय उन्होंने जोर देकर कहा था कि वे जल्द की इस युद्ध का अंत कर देंगे. अब वे 20 जनवरी को शपथ लेने वाले है. ऐसा कहा जा रहा है कि शपथ ग्रहण के बाद वह इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं. मगर क्या यह इतना आसान होगा, जैसा ट्रंप कह रहे हैं. आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन बीते तीन साल से बड़े युद्ध को झेल रहे हैं. इस दौरान वार्ताओं का दौर जारी रहा. दोनों ही पक्ष अपने हालात को मजबूत बनाने को लेकर युद्ध के मैदान में बढ़त बनाने की कोशिश में लगे हैं. युद्ध अब तक लाखों लोगों की मौत हो चुकी है.
यूक्रेनी सुरक्षा बलों को पीछे धकेलते आगे बढ़ रही रूसी सेना
बीते सालों में रूसी सेना धीरे-धीरे मगर लगातार यूक्रेनी सुरक्षा बलों को पीछे धकेलते आगे बढ़ रही है. पूर्व और दक्षिण में चार क्षेत्रों को पूरी तरह से नियंत्रित करने की कोशिश की है. पूर्व और दक्षिण में चार क्षेत्रों पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास कर रही है. रूस ने युद्ध की शुरुआत में जबरन इन क्षेत्रों का विलय कर लिया. मगर वह इन क्षेत्रों पर पूरी तरह से कब्जा नहीं कर पाया.
यूक्रेन ऊर्जा नेटवर्क एवं अन्य अहम बुनियादी ढांचे को कमजोर करने के प्रयास में उसने कई कई बड़े हमले किए. ताबड़तोड़ मिसाइलें और ड्रोन दागे. वहीं दूसरी ओर यूक्रेनप ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र में अपनी पैठ को विस्तार देने का प्रयास किया है.
100 दिनों के अंदर रूस-यूक्रेन युद्ध पर समझौता
यूक्रेन ने रूसी तेल केंद्रों और मॉस्को की युद्ध मशीन को लेकर अन्य प्रमुख लक्ष्यों को मिसाइलों और ड्रोन से साधा है. दोनों पक्षों ने बातचीत को लेकर कड़ा रुख अपना रखा है. ऐसे में समझौते की गुजाइश काफी कम है. चुनाव प्रचार में जहां ट्रंप चीख-चीखकर यह दावा कर रहे थे वह 24 घंटे के अंदर युद्ध को रुकवा देंगे. वहीं अब कह रहे है कि शपथ ग्रहण के छह माह के अंदर शांति वार्ता हो सकती है. यूक्रेन में उनके नामित दूत कीथ केल्लोग के अनुसार, शांति समझौता 100दिनों में होगा.