'बांग्लादेश में सुरक्षा हालात बेहद खराब', दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद अल्पसंख्यक संगठन ने चिंता जताई

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अध्यक्षीय सदस्य डीएन चटर्जी ने कहा, 'यहां पर अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं'. उन्होंने बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई है.

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अध्यक्षीय सदस्य डीएन चटर्जी ने कहा, 'यहां पर अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं'. उन्होंने बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई है.

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Mohit Saxena
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हुए हालिया हमलों ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. बीते दिनों मयमनसिंह शहर में भीड़ ने दीपू चंद्र दास नामक एक हिंदू शख्स की हत्या कर दी. उसे बीच चौराहे पर जला दिया गया. इससे भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में गिरावट देखी जा रही है. भारत में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों हो रहे है.

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बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई

बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के अध्यक्षीय सदस्य डीएन चटर्जी ने शनिवार को कहा कि यहां पर अल्पसंख्यक "सुरक्षित नहीं हैं". उन्होंने बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई है. चटर्जी ने कहा, "बांग्लादेश में हाल के हालात, खासकर वहां हुई घटनाओं के बारे    में पूरी दुनिया जानती है. दीपू चंद्र दास की क्रूर हत्या और देश भर में ऐसे कई अन्य मामले देखे हैं."

सरकार बहुत निष्क्रिय

उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश में सुरक्षा स्थिति "भयानक" है और उन्होंने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर ऐसे अस्थिर समय में "निष्क्रिय" रहने का आरोप लगाया है. चटर्जी ने बताया, "देश में सुरक्षा की स्थिति बेहद खराब है. यह भयानक है. सरकार बहुत निष्क्रिय है और वे स्थिति पर उचित ध्यान नहीं दे रहे हैं. यहां पर सब कुछ अस्त-व्यस्त है."

उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में दशकों से अल्पसंख्यकों का “शोषण” और “दमन” होता आ रहा है, लेकिन किसी ने भी उनकी गुहार पर ध्यान नहीं दिया है. उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यकों की पूरे हालात का आकलन करूं तो पूरा समुदाय परेशान और भयभीत है. वे दहशत में हैं.” इस बीच, ढाका से लगभग 140 किलोमीटर दूर एक गांव में दीपू चंद्र दास का परिवार उनकी क्रूर मौत पर शोक मना रहा है.

बेटे की हत्या नौकरी के कारण हुई

दीपू दास के पिता का कहना है कि उनके बेटे की हत्या नौकरी के कारण हुई. उन्होंने कहा, “मेरे बेटे को लॉटरी के जरिए नौकरी मिल गई थी, वह भाग्यशाली था. वह बीए पास था और पदोन्नति के लिए भी तैयार था. लेकिन कुछ लोग जिन्हें नौकरी नहीं मिली, उन्होंने मिलकर उसकी हत्या की साजिश रची.”

पिता ने बताया, “उन्होंने उसे कई बार जान से मारने की धमकी दी थी, अगर वह उन्हें नौकरी नहीं देता. भला वह कैसे दे सकता था? इन्हीं लोगों ने फिर मैनेजर के जाकर रिश्वत दी. उन्होंने अफवाहें फैलाईं कि दीपू दास ने ईशनिंदा की है.” दीपू दास के बड़े भाई ने कहा कि उनका भाई एक अच्छा इंसान था. 

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