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ग्रेटर अफगानिस्तान मैप विवाद Photograph: (X/@JawadYousufxai)
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पाकिस्तानियों के होश उड़ा दिए हैं. दरअसल, इस वीडियो में अफगानिस्तान के डिप्टी इंटरनल मिनिस्टर मोहम्मद नबी ओमारी एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ का नक्शा दिखाते हुए नजर आ रहे हैं.
क्या है 'ग्रेटर अफगानिस्तान' के मैप में ऐसा?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कार्यक्रम 28 अक्टूबर को खोस्त प्रांत में हुआ था, जो पाकिस्तान की सीमा से सटा इलाका है. वीडियो में देखा जा सकता है कि सैन्य वर्दी में दो बच्चे मंत्री को एक ढाल (shield) भेंट करते हैं. इस ढाल पर अफगानिस्तान का एक नक्शा बना है, जिसमें पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान और गिलगिट-बाल्टिस्तान के हिस्से भी शामिल दिखाए गए हैं.
पाकिस्तानियों के उड़े होश
जैसे ही ये वीडियो वायरल हुआ, पाकिस्तान में हड़कंप मच गया. सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठाने लगे कि अफगानिस्तान आखिर पाकिस्तान के हिस्सों को अपने नक्शे में कैसे दिखा सकता है. कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह घटना दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद तनाव को और भड़का सकती है.
पाकिस्तान ने सुलझा लिया है मामला?
दरअसल, कुछ दिन पहले दोहा वार्ता के बाद भी तालिबान ने साफ कहा था कि वह डूरंड लाइन को अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं मानता. अफगानिस्तान का तर्क है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद अभी भी अधूरा है, जबकि पाकिस्तान का दावा है कि यह मुद्दा सालों पहले ही सुलझ चुका है और डूरंड लाइन ही वास्तविक बॉर्डर है.
क्या है डूरंड लाइन विवाद?
अगर इतिहास पर नजर डालें तो डूरंड लाइन का निर्माण 1893 में ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच हुआ था. इसका नाम ब्रिटिश अधिकारी सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था. उस समय अफगान अमीर अब्दुल रहमान खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत दोनों देशों की सीमा तय की गई थी.
क्या कहता है अफगानिस्तान?
लेकिन अफगानिस्तान का मानना है कि ब्रिटिश सरकार ने यह रेखा उस पर थोपी थी, उसकी सहमति के बिना. यही वजह है कि ‘ग्रेटर अफगानिस्तान’ की अवधारणा अब भी वहां जिंदा है. 1947 में जब पाकिस्तान बना था, तब अफगानिस्तान ने उसे तुरंत मान्यता नहीं दी थी, क्योंकि डूरंड लाइन की वजह से पश्तून जनजातियां दो हिस्सों में बंट गई थीं. एक हिस्सा पाकिस्तान में और दूसरा अफगानिस्तान में.
अफगानिस्तान करता रहा है विरोध
इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान की संसद ने राजा जाहिर शाह के शासनकाल में भी इस सीमा का विरोध किया था. आज भी काबुल का रुख यही है कि डूरंड लाइन अफगानिस्तान पर थोपी गई एक औपनिवेशिक विरासत है जो पश्चिम में ईरान से लेकर पूर्व में चीन सीमा तक फैली हुई है. दोनों देशों के बीच यह विवाद अब फिर से उभर गया है, और विशेषज्ञों को आशंका है कि अगर हालात ऐसे ही रहे, तो सीमावर्ती तनाव एक बार फिर खुले संघर्ष का रूप ले सकता है.
Students presented symbolic “Greater Afghanistan” map to Taliban Deputy Interior Minister Mohammad Nabi Omari. The map depicted territories beyond Durand Line, including areas present-day Pakistan. The event celebrated graduation of around 1,300 members at Khost’s institute https://t.co/xXxhI2orkLpic.twitter.com/2kXr76Ad0R
— Jawad Yousafzai (@JawadYousufxai) November 2, 2025
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