बेलारूस में ऑर्शनिक की तैनाती से इन देशों तक रूस की सीधी पहुंच हो जाएगी और इतना ही नहीं पुतिन कालिडन ग्रायर ठिकाने को भी मजबूत कर रहे हैं।
बेलारूस में ऑर्शेनिक की तैनाती से नाटो देशों की मुश्किलें बढ़ना तय है। यूरोपीय देश यूक्रेन की मदद कर रहे हैं। उनकी चिंता बढ़ चुकी है। ऐसा क्यों हम कह रहे हैं वो आप समझिए। क्योंकि बेलारूस के जरिए पुतिन नाटो के पोलैंड, एस्टोनिया, लिथुआ और लातविया की घेराबंदी कर सकेंगे। बेलारूस में ऑर्शनिक की तैनाती से इन देशों तक रूस की सीधी पहुंच हो जाएगी और इतना ही नहीं पुतिन कालिडन ग्रायर ठिकाने को भी मजबूत कर रहे हैं। इससे नाटो के खेमे में खलबली मची हुई है। पुतिन सिर्फ यूक्रेन तक रुकने वाले नहीं है।
पुतिन का टारगेट सिर्फ यूक्रेन पर कब्जा करना नहीं है। बल्कि उनके निशाने पर हैं वो तमाम ताकतें जो नाटो के सदस्य बनकर रूस की ताकत को चुनौती दे रही हैं। इसीलिए बेलारूस ही नहीं बल्कि कलिनिन ग्राद के जरिए भी रूस यूरोप के देशों की घेराबंदी करने में जुटा है। अभी कुछ महीने पहले ही कालिनन ग्राद की कुछ सेटेलाइट तस्वीरें आई थी। नाटो के देशों के जरिए दावा किया गया कि कालिनन ग्राद में रूस का न्यूक्लियर अड्डा है जो पोलैंड और लिथुआ की सीमा से सटा है। सेटेलाइट तस्वीरें थी उसमें इस न्यूक्लियर साइट के आसपास नई बिल्डिंग, फेंसिंग, सुरक्षा उपकरण, कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ त्रिपाल से पूरे इलाके को ढकने की कोशिश की जा रही थी।
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