/newsnation/media/media_files/2025/07/14/india-china-relation-2025-07-14-10-00-52.jpg)
पाकिस्तान के खिलाफ मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद चीन ने अपनी पड़ोसी देश म्यांमार को लेकर नीति में बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव भारत के उत्तर-पूर्वी इलाकों में दबाव बनाने और रणनीतिक रूप से घेरने की मंशा से किया गया है। चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की भरपूर मदद की लेकिन भारत के प्रिसिजन स्ट्राइक से पाकिस्तान में जिस तरह की तबाही दिखी उससे चीन भी सन्न रह गया। चीन अब म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ मिलकर आर्थिक, सैन्य और बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। चीन की इस चाल का भारत पर भी असर दिखाई दे सकता है दरअसल चीन का मकसद है भारत की पूर्वी सीमाओं पर अस्थिरता फैलाना और भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति के तहत चल रही कनेक्टिविटी योजनाओं में बाधा डालना।
शी जिनपिंग और म्यांमार के जुंटा प्रमुख की अहम मुलाकात
9 मई 2025 को रूस के मॉस्को में म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग हलाइंग और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। यह बातचीत म्यांमार में 2021 के तख्तापलट के बाद दोनों नेताओं की पहली सीधी बैठक थी। शी जिनपिंग ने म्यांमार की संप्रभुता का समर्थन दोहराते हुए चीन के आर्थिक हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही।
चीन 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' के तहत शान राज्य में बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। खासतौर पर ‘म्यूसे-मंडाले-क्याउकप्यू रेलवे’ और तेल-गैस पाइपलाइन जैसे प्रोजेक्ट्स चीन को भारत की सीमा के पास सामरिक लाभ दे रहे हैं।
सुरक्षा के बहाने सैन्य विस्तार
खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन और म्यांमार ने एक संयुक्त सुरक्षा एजेंसी गठित की है, जिसका औपचारिक उद्देश्य निवेशों की रक्षा करना है। लेकिन असल में यह म्यांमार की सेना को सीमाई इलाकों में जातीय संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई में मदद कर रही है। इस कदम से भारत की सीमा के आसपास अस्थिरता की संभावना बढ़ गई है।
चीन ने उन्हीं इलाकों में बिजली और इंटरनेट सेवाएं बहाल की हैं जो म्यांमार की सैन्य सरकार के नियंत्रण में हैं। इससे कुछ चीनी समर्थित उग्रवादी समूहों को ताकत मिली है, जो भारत की पूर्वोत्तर सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं।
भूकंप राहत या रणनीतिक निवेश?
2025 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद चीन ने म्यांमार को 1.4 करोड़ डॉलर की सहायता दी, जो अब तक का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय योगदान है। भले ही इसे मानवीय सहायता के रूप में प्रस्तुत किया गया हो, लेकिन विशेषज्ञ इसे चीन द्वारा म्यांमार की आर्थिक निर्भरता को और बढ़ाने की रणनीति मानते हैं।
ड्रग्स नेटवर्क और सीमा पार अस्थिरता
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अब म्यांमार के ज़रिए मादक पदार्थों की तस्करी और सीमा पार नेटवर्कों को बढ़ावा देकर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। यह भारत पर पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में म्यांमार के माध्यम से दोहरे दबाव की रणनीति का हिस्सा है।
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया
भारत ने भी चीन की इस नई रणनीति को भांपते हुए जवाबी कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। भारत म्यांमार के लोकतांत्रिक समूहों के साथ संवाद बढ़ा रहा है, कालादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट और त्रिपक्षीय राजमार्ग जैसी परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ा रहा है और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ सुरक्षा सहयोग को मजबूत कर रहा है।
चीन की म्यांमार में बढ़ती दखलअंदाज़ी सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सैन्य और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत की पूर्वी सीमाओं को अस्थिर करना और भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को सीमित करना है। भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा और रणनीतिक परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा।
यह भी पढ़ें - Plane Crash: लंदन में एयरपोर्ट पर विमान दुर्घटनाग्रस्त, विशाल धुएं का गुब्बार दिखाई दिया