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ताइवान को हथियारों की आपूर्ति को लेकर चीन और अमेरिका के बीच तनाव एक बार फिर तेज हो गया है. दरअसल ट्रंप की ताइवान के साथ हुई डील ने चीन को नाराज कर दिया है. यही कारण है कि चीन ने अमेरिका की प्रमुख रक्षा कंपनियों समेत कुल 20 अमेरिकी कंपनियों और 10 व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है. यह घोषणा 26 दिसंबर 2025 को चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से की गई. बीजिंग का कहना है कि इन कंपनियों ने ताइवान को हथियार बेचकर चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती दी है.
बोइंग समेत कई दिग्गज कंपनियां निशाने पर
प्रतिबंधित कंपनियों में अमेरिकी विमान निर्माता बोइंग (Boeing) की सेंट लुइस शाखा भी शामिल है. इसके अलावा नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन सिस्टम्स कॉर्पोरेशन, एल3 हैरिस मैरीटाइम सर्विसेज और रक्षा तकनीक से जुड़ी एंडुरिल इंडस्ट्रीज जैसी नामी कंपनियों को भी सूची में रखा गया है. एंडुरिल इंडस्ट्रीज के संस्थापक और इन कंपनियों के नौ वरिष्ठ अधिकारियों पर भी व्यक्तिगत प्रतिबंध लगाए गए हैं.
चीन में एंट्री बैन और संपत्तियां फ्रीज
चीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन कंपनियों और उनसे जुड़े व्यक्तियों की चीन में मौजूद सभी संपत्तियां फ्रीज कर दी जाएंगी. साथ ही, चीन की किसी भी घरेलू संस्था या नागरिक को इन कंपनियों के साथ व्यापारिक लेन-देन करने की अनुमति नहीं होगी. प्रतिबंधित अधिकारियों के लिए चीन में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसे चीन की ओर से अब तक की सबसे सख्त कार्रवाइयों में से एक माना जा रहा है.
हथियार सौदे के बाद बढ़ा तनाव
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब हाल ही में अमेरिका ने ताइवान को 11.1 अरब डॉलर के हथियार बेचने की घोषणा की थी. चीन पहले ही इस सौदे पर कड़ा विरोध जता चुका था और अब प्रतिबंध लगाकर उसने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह इस मुद्दे पर कोई नरमी नहीं बरतेगा.
‘रेड लाइन’ बताया ताइवान मुद्दा
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूल हितों का हिस्सा है और यह चीन-अमेरिका संबंधों में एक ऐसी 'रेड लाइन' है, जिसे पार नहीं किया जा सकता. उन्होंने चेतावनी दी कि ताइवान के मामले में किसी भी तरह की उकसावे वाली कार्रवाई का चीन सख्त और निर्णायक जवाब देगा. साथ ही अमेरिका से ताइवान को हथियार देना तुरंत बंद करने की मांग भी की गई.
अमेरिकी कानून से बढ़ी चीन की चिंता
तनाव को और बढ़ाने वाला एक कारण अमेरिका का नया कानून भी है. इस महीने की शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘ताइवान एश्योरेंस इम्प्लिमेंटेशन एक्ट’ पर हस्ताक्षर किए थे. यह कानून अमेरिकी विदेश विभाग को ताइवान के साथ संबंधों की समीक्षा हर पांच साल में करने के लिए बाध्य करता है. ताइवान ने इस कदम का स्वागत किया है, जबकि चीन ने इसे अपने आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है.
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