ब्रिटेन मौजूद चरमपंथियों ने बुधवार देर शाम लंदन के चैथम हाउस के बाहर विदेश मंत्री जयशंकर के काफिले को रोकने का प्रयास किया. इसकी न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में कड़ी निंदा हुई. विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'हमने विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान यूके स्थित अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों की ओर से सुरक्षा व्यवस्था के उल्लंघन को लेकर यूके के अधिकारियों से गहरी चिंता जताई है.
जायसवाल के अनुसार, इस घटना का बड़ा मतलब ये है कि यहां पर ताकतों को बल मिल रहा है. यह घटना इन ताकतों की धमकी और यूके में हमारी वैध राजनयिक गतिविधियों को रोकने के लक्ष्य से की गई. यह अन्य कार्रवाइयों के प्रति उदासीनता को दर्शाती है. हालांकि इस मामले में यूके के विदेश कार्यालय ने प्रतिक्रिया दी है. लेकिन इसकी ईमानदारी को लेकर हमारा विचार तब बनेगा जब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.
इस घटना पर खेद व्यक्त किया
ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) ने गुरुवार को इस घटना पर खेद व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों को डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है. ऐसा पहली बार नहीं है कि भारत विरोधी और कट्टरपंथी तत्वों ने लंदन में प्रदर्शन पर हमला या तोड़फोड़ किया. मार्च 2023 में चरमपंथियों की ओर से लंदन में भारतीय उच्चायोग में उत्पात मचाने के बाद नई दिल्ली ने कड़ा विरोध दर्ज किया था. विदेश मंत्रालय ने यूके अधिकारियों से ब्रिटिश सुरक्षा की पूर्ण अनुपस्थिति के लिए स्पष्टीकरण मांगा था, इससे खालिस्तानी हुड़दंगियों को उच्चायोग परिसर में प्रवेश करने का मौका मिला.
बार-बार विरोध को अनदेखा करते रहे हैं
पूर्व भारतीय विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने गुरुवार को एक्स पर लिखा, ब्रिटिश खालिस्तानी चरमपंथियों को उनकी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए दी गई यह स्वतंत्रता अस्वीकार्य है. शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार के सुविधाजनक बहाने से ब्रिटेन ऐसे तत्वों को दी जाने वाली जगह के बारे में हमारे बार-बार विरोध को अनदेखा करते रहे हैं.
विदेश मंत्री जयशंकर ने कई मौकों पर खालिस्तानी चरमपंथियों की आलोचना की है जो कनाडा, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों में स्वतंत्रता कानूनों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. विदेश मंत्री ने पहले भी कई मौकों पर कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब हिंसा की वकालत करना नहीं हो सकता. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब किसी विदेशी देश में अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन करना नहीं हो सकता.