हिंसा की आग में डूबे बांग्लादेश में 17 साल बाद वापस लौटे तारिक रहमान, जल्द ही एक रैली को करेंगे संबोधित

तारिक रहमान ने 17 साल बाद बांग्लादेश में वापसी की है. इस तरह से बीएनपी कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है. यूनुस सरकार में कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव और आगामी चुनाव के बीच बीएनपी के सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई जा रही है.

तारिक रहमान ने 17 साल बाद बांग्लादेश में वापसी की है. इस तरह से बीएनपी कार्यकर्ताओं में नया जोश भर दिया है. यूनुस सरकार में कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव और आगामी चुनाव के बीच बीएनपी के सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई जा रही है.

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Mohit Saxena
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तारिक रहमान

बांग्लादेश में हिंसा के बीच 17 साल बाद बीएनपी के एक्टिंग चेयरमैन तारिक रहमान की देश में वापसी हुई है. बांग्लादेश की पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान सिलहट के उस्मानी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अपनी पत्नी जुबैदा रहमान और बेटी जाइमा रहमान के संग पहुंचे. बीएनपी के कार्यकर्ता और समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया. 

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एक ओर बांग्लादेश हिंसा की आग में डूबा हुआ है. वहीं दूसरी ओर बीएनपी समर्थकों ने चुनाव प्रचार को लेकर ढाका में जगह-जगह पोस्टरों और बैनरों लगाए हुए हैं. तारिक रहमान की वापसी ने 12 फरवरी को बांग्लादेश में होने वाले चुनाव को लेकर बीएनपी समर्थकों में जोश भर दिया है. बीएनपी समर्थक बेहद उत्साहित हैं.

बीते साल शेख हसीना की सरकार के पतन और यूनुसा सरकार के दौरान अराजक स्थिति को देखते हुए बीएनपी सत्ता में वापसी की उम्मीद में है. 

भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी

बांग्लादेश में फरवरी में चुनाव होने हैं. इससे पहले यहां पर हिंसा की आग भड़की हुई है. उस्मान हादी की हत्या के बाद से यहां पर माहौल बिगड़ा हुआ है. दिल्ली के लिए तारिक रहमान की वापसी के काफी मायने है. खासतौर पर जब भारत समर्थक अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है. खालिदा जिया अस्पताल में भर्ती हैं. उनकी हालत नाजुक है. ऐसे में तारिक की वापसी बांग्लादेश के लिए बड़ी उम्मीद की तरह देखा जा रहा है. मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में कट्टरपंथी इस्लामवादी बेलगाम है. भारत के खिलाफ काफी नफरत फैला है.

भारत के​ लिए खतरा माना जा रहा

भारत के लिए काफी चिंता का विषय जमात-ए-इस्लामी है. जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की ISIS  का समर्थक मानी जाती है. यूनुस की बांग्लादेश में वापसी के बाद जमात-ए-इस्लामी पर रोक हटाया गया है.  जमात-ए-इस्लामी ने राजनीति में वापसी को भारत के​ लिए खतरा माना जा रहा है. 

कट्टरपंथी ताकतें तेजी से बढ़ रही हैं

बांग्लादेश में यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी ताकतें तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसे में भारत जमात और यूनुस की तुलना में बीएनपी को ज्यादा लिबरल और डेमोक्रेटिक रूप में देखता है. बीते दिनों भारत और बीएनपी के रिश्ते अच्छे नहीं थे. हाल के सालों में बीएनपी के भारत विरोधी तेवर में काफी कमी आई है.

बीएनपी के भारत विरोधी तेवर में नरमी

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हाल में तारिक रहमान हो या बांग्लादेश में बीएनपी के नेता मीर जफर या सलाउद्दीन अहमद हों. उन्होंने भारत को तवज्जों तो नहीं दी है, मगर तेवर में नरमी है. बीएनपी यूनुस सरकार की नीतियों की आलोचना कर रही है. बीएनपी ने युनूस विदेश नीति की विदेश नीति की निंदा की है. बीएनपी ने जमात-ए-इस्लामी से दूरी बनाई हुई है. 

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