पाकिस्तान में इन दिनों बिलावल भुट्टो काफी चर्चाओं में हैं. तख्तापलट की आशंकाओं के बीच बिलावल को प्रधानमंत्री की कुर्सी मिलने की खबरें चल रहीं हैं. इस बीच, उन्होंने कुबूल किया कि पाकिस्तान से ही जिहाद छेड़ा गया है. और इसके लिए जिया-उल हक जिम्मेदार हैं.
पाकिस्तान भी आतंकवाद का भुक्त भोगी
एक भारतीय चैनल को इंटरव्यू देते हुए जरदारी ने कहा कि आप जिन समूहों की बात कर रहे हैं, उन्हें पाकिस्तान के बाहर किसी भी प्रकार का हमला करने की अनुमति हमारा देश नहीं देता है. बिलावल ने कहा कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का भुक्त भोगी है. हमने कुल मिलाकर 92 हजार लोगों की जान आतंकी हमले में गंवाई है. बिलावल ने पहलगाम हमले को आतंकी हमला करार देते हुए कहा कि वे पहलगाम हमले के पीड़ितों का दर्द अच्छे से समझते हैं.
आतंकियों को पहले आजादी के लड़ाके माना जाता था
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि परवेज मुशर्रफ ने खुद माना कि हम आतंकियों को सपोर्ट करते हैं और कश्मीर में लड़ने के लिए ट्रेनिंग देते हैं. इस पर बिलावल ने कहा कि उनके विचारों पर कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है. कोल्ड वॉर के बाद क्षेत्र की ऐसी नीतियां हो गई थी कि एलईटी जैसे संगठनों को आंतकी संगठन नहीं माना जाता था. इन ग्रुप के लोगों को पहले आजादी के लड़ाके कहा जाता था. उस वक्त भी मैं और मेरी मां इसके खिलाफ थे.
जिया-उल हक ने किया पाकिस्तान का आइडेंटिफिकेशन
बिलावल ने एक सवाल पर कहा कि हम अतीत से भाग नहीं रहे हैं. लेकिन अतीत में उलझकर हम वास्तविकता को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. पाकिस्तान ने इंटरनेशनल समुदाय और तानाशाह जनरल जिया-उल-हक के साथ मिलकर पाकिस्तान का जिहादीफिकेशन करने की योजना बनाई, जिससे अफगानिस्तान के साथ हम लड़ सकें. पाकिस्तानी समूहों और व्यक्तियों को अफगानिस्तान में जिहाद करने के लिए ट्रेनिंग दी गई थी. ये अतीत की बात है और अतीत में ये सब हुआ था.
कश्मीर से ऐसे शुरू हुआ आतंकियों का जिहाद
बिलावल ने बताया कि जब अफगानिस्तान जिहाद खत्म हो गया तो कुछ समूहों ने 9/11 को अंजाम देने का तय किया और कुछ संगठन कश्मीर में जिहाद छेड़ने चले गए. पाकिस्तानी सत्ता में उस दौरान किसी ने इसका विरोध नहीं किया.