पाकिस्तान का खेल खत्म! तालिबान के 15 हजार लड़ाके सीमा पर बदला लेने को तैयार, मुश्किल में शहबाज सरकार

जिस तरह मिडिल ईस्ट तबाही के दौर से गुजर रहा है. उसी तरह पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर तनाव बढ़ चुका है. यहां पर पाकिस्तान के एयरस्ट्राइक से तालिबान आगबबूला हो गया है.

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Mohit Saxena
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pakistan (social media)

Afganistan Pakistan Border Clash: पूरे मिडिल ईस्ट में जंग से तबाही मची हुई है. वहीं दूसरी ओर एक और जगह पर बड़े टकराव के आसार देखने को मिल रहे हैं. दो देशों के बीच कभी भी बड़ी जंग देखने को मिल सकती है. यह देश हैं अफगानिस्तान और पाकिस्तान. दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है. बुधवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की सीमा पर बड़ी कार्रवाई की. सीमा    पर एयर स्ट्राइक की गई. इसमें कई महिलाएं और बच्चे मारे गए. इस हमले को लेकर अफगानिस्तान आगबबूला है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका बदला लेने के लिए  तालिबान के करीब 15 हजार लड़ाकों की फौज पाकिस्तान की ओर बढ़ रही है. 

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आर-पार का मन बना लिया 

ऐसे कहा जा रहा है ​कि अफगानिस्तानी तालिबान ने आर-पार का मन बना लिया है. आपको बता दें कि मंगलवार को अफगानिस्तान के पूर्वी हिस्से में पाकिस्तान की सेना ने एयरस्ट्राइक की. इसमें 46 लोगों की मौत हो गई. अब अफगानिस्तान तालिबान ने पाकिस्तान की  कार्रवाई का जवाब देने की तैयारी कर ली है. करीब 15 हजार तालिबानी लड़ाके काबुल, कंधार और हेरात से निकले हैं. वे खैबर पख्तूनख्वा के मीर अली बॉर्डर की ओर बढ़ते दिख रहे हैं. तालिबान के प्रवक्ता के अनुसार, पाकिस्तान को उसकी कार्रवाई पर वाजिब जवाब दिए जाने की तैयारी है.  

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क्यों बढ़ा तनाव? 

यह विवाद तब शुरू हुआ जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने वजीरिस्तान के क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना के 30 जवानों मार गिराया. इसके जवाब में पाकिस्तान ने एयरस्ट्राइक करके यह संदेश देने का प्रयास किया कि अपने सैनिकों की हत्या पर वह चुप नहीं बैठने वाला. 

अफगान तालिबान के पास इस क्षेत्र में भारी मात्रा में हथियार और दुर्गम क्षेत्रों में छिपने   की क्षमता है.यहां पर उनके पास एके-47, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर जैसे आधुनिक हथियार शामिल हैं. इसके साथ तालिबानी लड़ाके उन पहाड़ों और गुफाओं से हमले कर रहे हैं,  जहां पाकिस्तानी सेना के पास ज्यादा जानकारी नहीं है. दरअसल पाकिस्तान पहले से ही  कर्ज संकट से जूझ रहा है. शहबाज शरीफ सरकार लगातार इससे उभरने का प्रयास कर रही है. इसके साथ शहबाज सरकार बलूचिस्तान में अलगाववाद जैसे हालात से दो चार हो रही है. इन मामलों ने सरकार की आर्थिक स्थिति को खराब कर दिया है. 

तालिबान को हराना कठिन 

अफगान तालिबान का लड़ाई का लंबा इतिहास रहा है. बड़ी-बड़ी सैन्य ताकते इसके आगे झुक चुकी है. अमेरिका और रूस दोनों को यहां से अपना बोरिया बिस्तर लेकर जाना पड़ा था. ऐसे में पाकिस्तान के पास न तो इतनी क्षमता है ​कि वह युद्ध को खींच पाए. वहीं सीमा पर दुश्मनी बढ़ाकर उसने आने वाले समय में बड़ा खतरा मोल लिया है. तालिबान जब तक बदला नहीं ले लेता, तब तक ​वह पाकिस्तान पर वार करता रहेगा. 

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