Bangladesh Protest: बांग्लादेश में फिर से सड़कों पर उतरे छात्र, सरकार के फैसले के खिलाफ हुए लामबंद

Bangladesh Protest: बांग्लादेश में फिर से छात्र सड़कों पर आ गए हैं. वे मुहम्मद यूनुस के एक फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आखिर क्या है पूरा मामला, पढ़ें पूरी खबर…

Bangladesh Protest: बांग्लादेश में फिर से छात्र सड़कों पर आ गए हैं. वे मुहम्मद यूनुस के एक फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. आखिर क्या है पूरा मामला, पढ़ें पूरी खबर…

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Jalaj Kumar Mishra
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Muhammad Yunus: (social media)

Bangladesh Protest: बांग्लादेश की प्रमुख यूनिवर्सिटीज के छात्र और शिक्षक सड़कों पर उतर गए हैं. इस बार उनकी मांग संस्कृति को बचाने की है. दरअसल, शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में सरकार बनाई, जिसके बाद उन्होंने प्राइमरी स्कूल के संगीत और पीटी टीचरों की नियुक्ति की योजना रद्द कर दी. उनका कहना है कि ये फैसला प्रशासनिक और बजट की समस्या के वजह से लिया गया है. 

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छात्रों ने शुरू किया विरोध प्रदर्शन

वहीं, बांग्लादेश के कुछ छात्रों का कहना है कि सरकार कट्टरपंथियों के सामने झुक गई है. उन्होंने इसे गैर-इस्लामिक करार दिया है. इसी के विरोध में अब छात्र सड़कों पर आ गए हैं. ढाका विश्वविद्यालय में सैकड़ों छात्र अपराजेय बंगला प्रतिमा के नीचे राष्ट्रगान गाया और 1971 के मुक्ति संग्राम के गीत गाए. उन्होंने हाथों में बैनर लिया हुआ था, जिसमें लिखा था- आप स्कूल में संगीत को रोक सकते हैं लेकिन बांग्लादेशियों के दिल से उसे नहीं निकाला जा सकता है. 

पूरे बांग्लादेश में संगीत बैन के खिलाफ प्रदर्शन

म्यूजिक बैन के खिलाफ बांग्लादेश में ढाका से लेकर चटगांव, जगन्नाथ और राजशाही सहित विभिन्न शहरों के यूनिवर्सिटीज के कैंपस विरोधी नारों और गीतों से गूंज गया. आर्ट्स और ह्यूमेनिटीज के छात्रों के नेतृत्व में पूरे देश में आंदोलन हो रहा है. छात्रों की मांग है कि संगीत और पीटी टीचर्स की नियुक्ति बहाल की जाए. ढाका विश्वविद्यालय के थिएटर प्रोफेसर इसराफिल शाहीन ने छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृति कभी धर्म के खिलाफ नहीं होती. संस्कृति ही हमारी पहचान बनती. संस्कृति ही देश की पहचान बनती है. शिक्षा इसके बिना खोखली हो जाती है. 

बजट-व्यवस्था का मुद्दा ही नहीं

सिंगर और एक्टिविस्ट शायन ने जगन्नाथ यूनिवर्सिटी में कहा कि ये बजट और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है. ये सवाल है पहचान का. हमें पहचानना होगा कि हम कौन हैं. आखिर बांग्लादेशी होने का मतलब क्या है. सरकार धर्म और संस्कृति को आमने-सामने लाने की खतरनाक कोशिश कर रही है और हम इसके झांसे में नहीं आएंगे.

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