अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट करने पर भड़का बंग्लादेश, उगला जहर

भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर कूटनीतिक और सैन्य तनाव के संकेत मिल रहे हैं. बांग्लादेशी सेना के शीर्ष अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल नाजिम-उद-दौला के हालिया बयान ने दोनों देशों के बीच गंभीर विवाद की नींव रख दी है.

भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर कूटनीतिक और सैन्य तनाव के संकेत मिल रहे हैं. बांग्लादेशी सेना के शीर्ष अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल नाजिम-उद-दौला के हालिया बयान ने दोनों देशों के बीच गंभीर विवाद की नींव रख दी है.

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Ravi Prashant
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अवैध बांग्लादेशी Photograph: (X)

भारत-बांग्लादेश सीमा पर एक बार फिर से कूटनीतिक और सैन्य तनाव के संकेत मिल रहे हैं. बांग्लादेश सेना के शीर्ष अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल नाज़िम-उद-दौला के हालिया बयान ने दोनों देशों के बीच गंभीर विवाद की नींव डाल दी है. उन्होंने कहा है, "अगर भारत ने फिर से अवैध बांग्लादेशियों को सीमा पार धकेला तो बांग्लादेश सेना कार्रवाई के लिए तैयार है."

भारत में कितने अवैध हैं बंग्लादेशी? 

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यह बयान केवल किसी पत्रकार या सोशल मीडिया यूज़र का नहीं, बल्कि बांग्लादेश आर्मी की शीर्ष स्तर की आधिकारिक चेतावनी है, जो सीधे तौर पर भारत की नीति पर सवाल उठा रही है. यह विवाद नया नहीं है. भारत में अवैध बांग्लादेशियों की मौजूदगी एक पुराना और संवेदनशील मुद्दा रहा है. हालांकि, आंकड़े आज भी स्पष्ट नहीं हैं कि कितने बंग्लादेशी अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं.

साल 2004 में, भारत सरकार ने संसद में बताया कि करीब 1.2 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं. वहीं, 2016 में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने यह संख्या 2 करोड़ तक होने का अनुमान जताया था.  

मगर इन दोनों ही दावों की कोई अधिकृत या सत्यापित पुष्टि नहीं थी. ये महज अनुमान माने जाते हैं. 2015 से 2019 के बीच भारत ने केवल 15,000 बांग्लादेशियों को नागरिकता दी, जिनमें अधिकतर वे लोग थे जो India-Bangladesh Land Boundary Agreement के तहत भारत में रह गए थे. 

बांग्लादेश का सीधा आरोप

बांग्लादेश सरकार ने हाल ही में भारत पर आरोप लगाया है कि भारत जबरन undocumented लोगों को सीमा पार करवा रहा है. ढाका की ओर से भारत को एक डिप्लोमैटिक नोट भेजा गया है, जिसमें कहा गया कि अगर अवैध नागरिकों को भेजना है, तो डिप्लोमैटिक चैनल का उपयोग करें. 'Push-in' की नीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इस बयान से साफ है कि यह केवल एक सैन्य अधिकारी की व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि बांग्लादेश सरकार की रणनीतिक सोच है. 

भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर तनाव मौजूद है

  • टीस्टा जल बंटवारा विवाद
  • रोहिंग्या शरणार्थी संकट
  • सीमा सुरक्षा और घुसपैठ का मसला

अब, अवैध प्रवासियों की वापसी और डिपोर्टेशन का विवाद एक नया संकट बनकर उभर रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस मुद्दे को शांति से हल नहीं किया गया, तो यह पूर्वी सीमा पर गंभीर सैन्य तनाव में तब्दील हो सकता है जिसका फायदा चीन और *पाकिस्तान जैसे देश उठा सकते हैं. 

राजनीतिक पृष्ठभूमि और खतरे के संकेत

बांग्लादेश में वर्तमान में मोहम्मद यूनुस की सरकार है, जिसे भारत में कुछ हलकों द्वारा इस्लामी कट्टरपंथी समूहों और पाकिस्तान समर्थक एजेंडों से सहानुभूति रखने वाली माना जा रहा है. ऐसे में इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान तलाशना और भी चुनौतीपूर्ण हो सकता है. 

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