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सुशीला कार्की Photograph: (social media)
Nepal Interim Govt: नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को देश की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली है. उन्होंने यह पद केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के तीन दिन बाद संभाला. ओली ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद पद को छोड़ा था। नेपाल में Gen-Z की अगुवाई वाले हिंसक प्रदर्शनों के बाद पैदा हुए राजनीतिक संकट के बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाने का निर्णय लिया गया. राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के साथ सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल की मौजूदगी में Gen-Z समूहों की बैठक में सुशीला कार्की के नाम पर समर्थन मिला है.
प्रदर्शनों की वजह से इस्तीफा देने को मजबूर हुए
आपको बता दें कि पीएम केपी शर्मा ओली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और सोशल मीडिया बैन को लेकर प्रदर्शन उग्र हो गए। इस दौरान Gen-Z की अगुवाई में 8 और 9 सितंबर को राष्ट्रव्यापी हिंसक विरोध प्रदर्शनों की वजह से इस्तीफा देने को मजबूर हुए। Gen-Z प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि मौजूदा संसद को भंग करके देश में अगले राष्ट्रीय चुनावों तक एक अंतरिम सरकार का गठन किया। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने सेना प्रमुख के संग विचार-विमर्श के बाद स्वीकार कर लिया.
राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की
सुशीला कार्की ने 1979 में विराटनगर में एक वकील के रूप में अपने कानूनी करियर की शुरूआत की। 2009 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनीं. वह 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश होंगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ अडिग रुख को लेकर उन्हें पहचान मिली। खास रूप से भ्रष्टाचार के आरोपों में वर्तमान मंत्री जय प्रकाश गुप्ता को दोषी ठहराने और कारावास का आदेश जारी करने के लिए। कार्की ने 1975 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री ली। 1978 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
सुधारवादी न्यायाधीश के रूप प्रतिष्ठा बनाए रखी
वर्ष 2017 में उन्हें सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव का सामना किया। इसमें उन पर पुलिस प्रमुख की नियुक्ति जैसे मामलों में पक्षपात और अपने अधिकार का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया। राजनीतिक चुनौतियों के बाद भी उन्होंने एक स्वतंत्र और सुधारवादी न्यायाधीश के रूप प्रतिष्ठा बनाए रखी.