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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 7 सितंबर, 2025 को एक बड़ा बयान देते हुए संकेत दिया है कि रूस पर नए और अधिक सख्त प्रतिबंधों का दूसरा चरण जल्द शुरू हो सकता है. यह बयान यूक्रेन में तीन वर्षों से जारी युद्ध को लेकर बढ़ती वैश्विक नाराजगी के बीच आया है. ट्रंप का यह रुख दर्शाता है कि अमेरिका अब केवल बयानबाजी से आगे बढ़कर ठोस आर्थिक दबाव बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है.
बातचीत की राह छोड़ अब निर्णायक कार्रवाई की ओर
ट्रंप प्रशासन ने पहले भी रूस को कई बार चेतावनी दी थी, लेकिन कूटनीतिक बातचीत और मध्यस्थता की संभावनाओं को खुला रखने के लिए उन्होंने प्रतिबंधों को लेकर संयम बरता था. अब रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, उनके ताजा बयान से स्पष्ट होता है कि वह अब एक आक्रामक नीति अपनाने के लिए तैयार हैं. हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि आगामी प्रतिबंधों में क्या शामिल होगा, लेकिन यह तय है कि इसका असर रूस की अर्थव्यवस्था और वैश्विक तेल व्यापार पर पड़ेगा.
रूस से तेल आयात पर लग सकती है रोक
एक बड़ी संभावना यह है कि अमेरिका रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों या कंपनियों को निशाना बना सकता है. इससे न केवल रूस की आय का बड़ा स्रोत प्रभावित होगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भी हलचल मच सकती है. यह कदम यूरोप और एशिया में कई देशों के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जो अब भी रूस से ऊर्जा संसाधनों पर निर्भर हैं.
ट्रंप की नाराज़गी का कारण
ट्रंप ने जब जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद संभाला था, तब उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द खत्म कर देंगे. लेकिन लगभग नौ महीने बाद भी युद्ध जारी है, और कूटनीतिक प्रयास विफल साबित हुए हैं. इसी विफलता से वे व्यक्तिगत रूप से नाराज दिख रहे हैं और अब कठोर कदम उठाने के मूड में हैं.
आगे क्या हो सकता है?
अगर अमेरिका रूस पर प्रतिबंधों के दूसरे चरण को लागू करता है, तो यह वैश्विक भू-राजनीति में बड़ा मोड़ हो सकता है. न केवल रूस की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा, बल्कि अमेरिका की वैश्विक नेतृत्व क्षमता भी एक बार फिर चर्चा में आ जाएगी. ट्रंप के इस निर्णय से आने वाले सप्ताहों में अंतरराष्ट्रीय संबंधों में हलचल तय मानी जा रही है.
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