Golden Dome: अमेरिका 'गोल्डन डोम' के जरिए तैयार कर रहा नई मिसाइल ढाल, जानिए क्यों है इतनी खास

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश की सुरक्षा को लेकर अहम कदम उठाया है. अमेरिका ने अपनी रक्षा रणनीतिक के तहत मिसाइलों की ढाल के तौर पर गोल्डन डोम का ऐलान किया है.

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Dheeraj Sharma
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American President Donald Trump Announced Golden Dome

Golden Dome: अमेरिका के  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत एक बड़ी और तकनीकी दृष्टि से अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना के ऐलान के साथ की है। इस परियोजना का नाम है ‘गोल्डन डोम’, जिसे ट्रंप ने “21वीं सदी की ढाल” बताते हुए वैश्विक सुरक्षा की दिशा में एक गेम-चेंजर करार दिया है। इस मिसाइल रक्षा प्रणाली का लक्ष्य अमेरिका को बैलिस्टिक, क्रूज और हाइपरसोनिक मिसाइलों जैसे आधुनिक हथियारों से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है।

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क्या है गोल्डन डोम ?

‘गोल्डन डोम’ प्रणाली को इजरायल की 'आयरन डोम' से प्रेरित बताया गया है, लेकिन इसकी क्षमता कहीं अधिक व्यापक और उन्नत होगी। यह एक मल्टी-लेयर डिफेंस सिस्टम है जो शॉर्ट-रेंज से लेकर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) तक को ट्रैक और नष्ट करने में सक्षम होगा। 

इसमें लेजर हथियार, काइनेटिक इंटरसेप्टर्स, और हाई-स्पीड एंटी-मिसाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा।

अंतरिक्ष से निगरानी

गोल्डन डोम में एक और अत्यंत अहम तकनीक होगी- स्पेस-बेस्ड सेंसर नेटवर्क। इस नेटवर्क के तहत हजारों सैटेलाइट्स पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किए जाएंगे जो रीयल-टाइम डिटेक्शन में सक्षम होंगे। ये सैटेलाइट्स इन्फ्रारेड, रडार और AI-बेस्ड सेंसर से लैस होंगे जो दुश्मन की मिसाइलों, ड्रोन्स और हाइपरसोनिक हथियारों को समय रहते पहचान लेंगे।

AI का भी होगा अहम रोल

गोल्डन डोम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का भी अत्यधिक प्रयोग होगा। AI सिस्टम संभावित खतरे का आकलन कर उनके गति, दिशा और लक्ष्य को ट्रैक करेगा और तुरंत जवाबी कार्रवाई करेगा। इससे गलत अलार्म की संभावना घटेगी और सटीकता में भारी इजाफा होगा।

अमेरिका के प्रमुख शहरों की सुरक्षा होगी सुनिश्चित

शुरुआती चरण में यह प्रणाली अमेरिका के महत्वपूर्ण शहरों जैसे वॉशिंगटन डीसी (व्हाइट हाउस), न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स और पेंटागन की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। भविष्य में इसे पूरे अमेरिका में लागू करने के साथ-साथ नाटो, इजरायल, जापान और भारत जैसे सहयोगी देशों तक विस्तार की योजना है।

प्राइवेट सेक्टर का सहयोग

इस मेगा प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग के लिए स्पेसएक्स, पालंतिर और एंडुरिल जैसी उन्नत टेक्नोलॉजी कंपनियों को जोड़ा गया है। एलन मस्क की स्पेसएक्स 1000 से अधिक सैन्य सैटेलाइट्स लॉन्च करेगी, जो स्टारलिंक जैसी संरचना पर आधारित होंगे लेकिन सिर्फ सैन्य उद्देश्यों के लिए होंगे।

ट्रंप का विजन, ‘स्टार वॉर्स’ से आगे

व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा, “रोनाल्ड रीगन ने 1980 में जो सपना देखा था, वह साकार हो रहा है। हमारे पास अब वह तकनीक और इच्छाशक्ति है जो अमेरिका को अभेद्य बना सकती है।” ट्रंप ने जोर देकर कहा कि गोल्डन डोम न सिर्फ अमेरिका की रक्षा क्षमता को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक कूटनीति में अमेरिका को सर्वोच्च स्थान भी दिलाएगा।

बता दें कि ‘गोल्डन डोम’ के जरिए न केवल एक तकनीकी क्रांति का संकेत है, बल्कि यह अमेरिका की रणनीतिक सोच, वैश्विक प्रभुत्व और रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक कदम भी माना जा रहा है। खास तौर पर उसके विरोधियों जैसे रूस और चीन के लिए भी यह एक चिंता का विषय बन सकता है। अगर यह परियोजना निर्धारित समय पर पूरी होती है, तो यह न केवल अमेरिका बल्कि उसके सहयोगी देशों के लिए भी एक अभेद्य सुरक्षा कवच बन सकती है।

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