अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सलाहकार और सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख एलन मस्क ने नाटों में अमेरिका के रहने पर सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि नाटो और यूएन से अमेरिका के बाहर निकलने का समय आ गया है. मस्क ने अपना रुख ने ऐसे समय मे जाहिर किया है जब यूक्रेन संघर्ष पर वाशिंगटन और उसके यूरोपीय सहयोगियों के बीच मतभेद गंभीर होते दिख रहा है. आपको बाते दें कि शुक्रवार को पूरी विश्व ने देखा कि व्हाइट हाउस में ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच तीखी बहस हुई. इस बीच राजनीतिक टिप्पणीकार और एमएजीए कार्यकर्ता गुंथर ईगलमैन ने एक्स पर लिखा, नाटो और यूएन को छोड़ने का वक्त आ गया है. इस पोस्ट को रिपब्लिकन सीनेटर माइक ली ने साझा किया किया था.
महामारी को रोकने में संगठन सक्षम नहीं
ईगलमैन के पोस्ट पर मस्क ने लिखा, मैं सहमत हूं. फरवरी में यूटा के सीनेटर ली ने संयुक्त राष्ट्र संकट से संपूर्ण रूप से अलग होने का प्रस्ताव पेश किया था. उन्होंने इसे विश्व निकाय के लिए अत्याचारियों का मंच बताया था. अमेरिका और उसके सहयोगियों को लकर कहा कि सारी फंडिंग के बावजूद युद्ध, नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और महामारी को रोकने में संगठन सक्षम नहीं है. मस्क ने उसी समय रुख का समर्थन करते हुए एक्स पर एक पोस्ट में कहा था कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र और उससे जुड़ी संस्थाओं को जरूरत से अधिक धनराशि प्रदान करता है.
बड़ा हिस्सा वहन करने के पीछे तर्क क्या है
यह पहली बार नहीं है जब मस्क ने नाटो में अमेरिका की सदस्यता पर प्रश्न उठाया है. बीते माह ही उन्होंने इसे शीत युद्ध के बाद के युग के लिए अप्रासंगिक बताया था. अरबपति बिजनेसमैन मस्क ने सवाल खड़े किए कि अमेरिकी करदाताओं की ओर से यूरोप की रक्षा लागत का एक बड़ा हिस्सा वहन करने के पीछे तर्क क्या है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका नाटो के सैन्य खर्च का लगभग 67 प्रतिशत का भुगतान करता है. वहीं अपने सकल घरेलू उत्पाद का केवल 3.5 प्रतिशत ही रक्षा पर खर्च करता है. बीते दिनों ट्रंप ने भी नाटो की आलोचना की है. उन्होंने इससे बाहर निकलने की धमकी दी है. उनका कहना था कि अमेरिका अनुचित वित्तीय बोझ सहन करता है.