India Pakistan Tension: वाशिंगटन से एक अहम बयान सामने आया है जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को लेकर चिंता जताई है। ट्रंप ने कहा कि वह इस क्षेत्रीय विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं और उम्मीद करते हैं कि दोनों पड़ोसी देश जल्द से जल्द आपसी मतभेद दूर करेंगे। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच हालात एक बार फिर संवेदनशील होते दिखाई दे रहे हैं।
क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे भारत और पाकिस्तान, दोनों के नेताओं के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों को महत्व देते हैं और चाहते हैं कि यह द्विपक्षीय विवाद कूटनीतिक मार्ग से हल किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि दशकों से दोनों देशों के बीच चले आ रहे विवाद को अब खत्म करने का समय आ गया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिका क्षेत्रीय स्थिरता के पक्ष में है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी प्रकार का सैन्य टकराव न हो। उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो लगातार भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं और संघर्ष को कम करने के लिए संवाद का माध्यम बने हुए हैं।
दोनों देशों से तनाव खत्म करने की बात
इससे पहले गुरुवार को एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल के तहत विदेश मंत्री रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग वार्ता की। इन चर्चाओं का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जारी तनाव को शांत करना और विशेष रूप से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से ठोस कार्रवाई की अपेक्षा जताना था।
एस. जयशंकर के साथ बातचीत में रुबियो ने क्षेत्रीय शांति की आवश्यकता पर बल दिया। जवाब में जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि भारत अपने सुरक्षा हितों से कोई समझौता नहीं करेगा और पाकिस्तान की ओर से किसी भी प्रकार की उकसावे की कार्रवाई का कठोरता से जवाब देगा। वहीं, शहबाज शरीफ के साथ बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री ने दोहराया कि पाकिस्तान को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने होंगे।
दक्षिण एशिया में शांति की कोशिश
अमेरिका की इस कूटनीतिक सक्रियता से यह संकेत मिलते हैं कि वह दक्षिण एशिया में शांति बनाए रखने को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रंप प्रशासन के इस ताजा रुख से भारत और पाकिस्तान दोनों पर एक तरह का दबाव बन सकता है कि वे किसी भी परिस्थिति में युद्ध जैसे हालात न बनने दें और बातचीत का रास्ता खुला रखें।
हालांकि, यह देखना बाकी है कि अमेरिका की यह मध्यस्थता किस हद तक असरदार साबित होगी, क्योंकि भारत परंपरागत रूप से किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता है। भारत की नीति हमेशा से द्विपक्षीय बातचीत की रही है, जबकि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग करता रहा है।
फिर भी, अमेरिका का यह प्रयास इस बात का संकेत है कि वैश्विक ताकतें इस क्षेत्र की स्थिरता को लेकर गंभीर हैं। यदि यह संवाद सकारात्मक दिशा में बढ़ता है, तो यह न केवल भारत और पाकिस्तान के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए राहत की बात होगी।
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