रूस से सिर्फ 2 सेंट प्रति एकड़ में अमेरिका ने खरीदा था अलास्का, जहां होगी ट्रंप-पुतिन की मुलाकात

क्या आप जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात जहां होने वाली है वह अलास्का कभी रूस का हिस्सा था. अमेरिका ने इसे 2 सेंट में खरीदा था.

क्या आप जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात जहां होने वाली है वह अलास्का कभी रूस का हिस्सा था. अमेरिका ने इसे 2 सेंट में खरीदा था.

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Dheeraj Sharma
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America buy alaska from russia

15 अगस्त 2025 को दुनिया की नजरें अमेरिका के अलास्का राज्य के एंकोरेज शहर पर टिकी हैं. यहां अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठने जा रहे हैं. इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य है  रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने का रास्ता तलाशना.  हालांकि इस बैठक की दिलचस्पी सिर्फ इसके एजेंडे में नहीं, बल्कि इसके स्थान में भी है. क्या आप जानते हैं कि अमेरिका ने अलास्का को रूस से खरीदा था. वो भी सिर्फ 2 सेंट में. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला. 

अलास्का जो कभी था रूस का हिस्सा

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अलास्का वो जगह जहां अमेरिकी राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की ऐतिहासिक मुलाकात होने जा रही है. लेकिन ये अलास्का एक वक्त पर  रूस का हिस्सा हुआ करता था.  1867 में रूस ने इस बर्फीले इलाके को अमेरिका को बेच दिया था.  खास बात यह है कि इस सौदे की रकम महज  7.2 मिलियन डॉलर, यानी प्रति एकड़ सिर्फ 2 सेंट से भी कम थी. 

कब हुई डील की शुरुआत

बता दें कि इस डील की शुरुआत 1866 में रूस की ओर से की गई. उस वक्त के अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विलियम एच. सिवार्ड ने यह ऐतिहासिक समझौता कराया था. तब लोग इस डील का खूब मजाक उड़ाते थे और इसे "सिवार्ड्स फॉली" और "आइसबॉक्स" कहते थे. 

बर्फ नहीं, निकला निकला सोने की खान

1896 में क्लोंडाइक गोल्ड रश के बाद सबकी धारणा बदल गई. अलास्का सिर्फ बर्फ का रेगिस्तान नहीं, बल्कि सोना, तेल, और प्राकृतिक संसाधनों का खजाना निकला. अमेरिका के लिए यह क्षेत्र रणनीतिक, सैन्य और आर्थिक दृष्टि से बेहद अहम बन गया. 

अमेरिका की रक्षा रणनीति के केंद्र रहा ये इलाका

ट्रंप और पुतिन की मुलाकात जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन में हो रही है, जो 1940 से अमेरिका की रक्षा रणनीति का केंद्र रहा है. शीत युद्ध के दौरान यहां 200 से ज्यादा लड़ाकू विमान तैनात थे.  इसे “टॉप कवर फॉर नॉर्थ अमेरिका” कहा जाता था. अब भी यह अमेरिका की आर्कटिक सैन्य रणनीति में अहम भूमिका निभाता है.

बहरहाल जो जगह कभी रूस की धरती थी, वहीं अब अमेरिका शांति वार्ता की मेजबानी कर रहा है. यह संयोग ही नहीं, इतिहास का एक संदेश भी है शक्तिशाली राष्ट्र बदलते समय में पुराने रिश्तों की नई व्याख्या कर सकते हैं.  क्या यह मुलाकात यूक्रेन युद्ध के अंत की शुरुआत होगी? यह आने वाला समय बताएगा, लेकिन इतना ज़रूर है कि यह भू-राजनीति का एक ऐतिहासिक मोड़ है. 

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