तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत के साथ अपनी नीति का खुलकर समर्थन किया.
एक तरफ जहां दुनिया के कई हिस्सों में या तो जंग चल रही है या फिर जंग का तनाव है, तो वहीं साउथ एशिया की राजनीति में एक नया मोड़ आया है. अफगानिस्तान के तालिबान ने पाकिस्तान को साफ-साफ कह दिया है कि उसकी भारत नीति पर उंगली उठाने का हक पाकिस्तान को नहीं है. यह बयान आया है तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की ओर से जो 3 दिसंबर 2025 को काबुल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. लेकिन सिर्फ यह शब्दों की जंग नहीं है. इसके पीछे साल भर से चल रही तनातनी है जो अब सीमा पर गोलीबारी और व्यापारबंदी तक पहुंच गई है.
दोबारा सत्ता हासिल की तो यह रिश्ते उलट गए
एक ओर तालिबान भारत के साथ गले मिल रहा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान को मिर्ची लग रही है. कभी पाकिस्तान तालिबान का सबसे बड़ा समर्थक था. 1990 के दशक में तालिबान को हथियार और पनाह पाकिस्तान ने दिए ताकि अफगानिस्तान में उसका प्रभुत्व बन जाए. लेकिन 2021 में जब तालिबान ने दोबारा सत्ता हासिल की तो यह रिश्ते उलट गए. पाकिस्तान का इल्जाम है कि तालिबान अपनी मिट्टी से पाकिस्तानी तालिबान यानी टीटीपी को शरण दे रहे हैं.
4 दिसंबर 2025 को व्यापारिक रास्ते बंद कर दिए
टीटीपी ने 2025 में पाकिस्तान में कई हमले किए हैं. ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स के मुताबिक पाकिस्तान में टीटीपी के हमलों से 1081 लोग मारे गए, जो पिछले साल से 45% ज्यादा हैं. टीटीपी ने नवंबर 2025 में इस्लामाबाद में एक कोर्ट में सुसाइड बॉम्बिंग की जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई. पाकिस्तान ने इसे भारत का हाथ बताया लेकिन तालिबान ने साफ-साफ इंकार कर दिया. इसके जवाब में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के ट्रकों को सीमा पर रोक दिया. बॉर्डर पर अतिरिक्त चेकिंग बढ़ाई गई, फीस बढ़ाई गई और राजनीतिक दबाव बनाया गया. नतीजा यह निकला कि अफगानिस्तान के फल और सब्जी के कारोबारियों को भारी नुकसान हो. तालिबान ने तुरंत पलटवार किया. 4 दिसंबर 2025 को व्यापारिक रास्ते बंद कर दिए.
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