Afghanistan Earthquake Today: अफगानिस्तान में फिर हिली धरती, 3.7 मापी गई भूकंप की तीव्रता

अफगानिस्तान में एक बार फिर धरती हिली. शुक्रवार तड़के काबुल के पास 3.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, झटके सुबह 6:09 बजे 80 किलोमीटर की गहराई पर महसूस किए गए. फिलहाल किसी नुकसान की खबर नहीं है.

अफगानिस्तान में एक बार फिर धरती हिली. शुक्रवार तड़के काबुल के पास 3.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के अनुसार, झटके सुबह 6:09 बजे 80 किलोमीटर की गहराई पर महसूस किए गए. फिलहाल किसी नुकसान की खबर नहीं है.

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Deepak Kumar
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Earthquake in Afghanistan: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और उसके आसपास के इलाकों में शुक्रवार (24 अक्टूबर) तड़के भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के मुताबिक, यह भूकंप भारतीय समयानुसार सुबह 6:09 बजे आया. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 3.7 मापी गई और इसका केंद्र जमीन से करीब 80 किलोमीटर गहराई में था. झटके हल्के थे, इसलिए फिलहाल किसी तरह के नुकसान या जनहानि की खबर नहीं है.

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एक महीने में चौथी बार आया भूकंप

आपको बता दें कि अफगानिस्तान में पिछले कुछ हफ्तों में कई बार धरती कांप चुकी है. मंगलवार (21 अक्टूबर) तड़के भी 4.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था. इससे पहले 17 अक्टूबर को उत्तरी अफगानिस्तान में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, वह भूकंप खांडूद से 47 किलोमीटर उत्तर-उत्तर पश्चिम में, जमीन से 43 किलोमीटर गहराई पर आया था.

भूकंप की उथली गहराई से बढ़ता है खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि उथले भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि उनकी तरंगें जल्दी सतह तक पहुंचती हैं और जमीन को ज्यादा हिलाती हैं. इससे इमारतों को अधिक नुकसान होता है और जनहानि की संभावना बढ़ जाती है.

भारत की मानवता आधारित मदद जारी

भारत लगातार अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास के लिए सहयोग कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत हरीश पार्वथानेनी ने हाल ही में कहा था कि भारत की प्राथमिकता अफगान लोगों को मानवीय सहायता देना और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है.

बताते चलें कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तरी भारत वह क्षेत्र है जहां भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं, इसी कारण यह इलाका भूकंप संभावित जोन में आता है.

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