बगराम एयरबेस पर ट्रंप की सख्त चेतावनी, अफगान सरकार ने सौदे से किया इंकार

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ फसीहुद्दीन फ़ित्रत ने रविवार को साफ कहा कि बगराम एयरबेस को लेकर कोई समझौता संभव नहीं है.

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ फसीहुद्दीन फ़ित्रत ने रविवार को साफ कहा कि बगराम एयरबेस को लेकर कोई समझौता संभव नहीं है.

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Ravi Prashant
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Bagram airbase

रक्षा मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ फसीहुद्दीन फ़ित्रत Photograph: (Tolo)

अफगानिस्तान की रक्षा मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ फसीहुद्दीन फ़ित्रत ने रविवार को साफ कहा कि बगराम एयरबेस को लेकर किसी भी तरह का सौदा संभव नहीं है. यह बयान उस वक्त आया जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि वे अफगानिस्तान का सबसे बड़ा एयरबेस वापस चाहते हैं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो बुरे नतीजे सामने आएंगे.

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बगराम एयरबेस कहां पर है? 

बगराम एयरबेस, जो राजधानी काबुल के उत्तर में स्थित है, अमेरिकी सेनाओं के लिए 20 साल के युद्ध में सबसे अहम ठिकाना रहा. जुलाई 2021 में अमेरिकी और नाटो सैनिकों की अफगानिस्तान से अराजक वापसी के दौरान इसे छोड़ दिया गया था. इसके तुरंत बाद अफगान सेना बिखर गई और तालिबान ने पूरे देश पर कब्ज़ा जमा लिया.

अफगानी डिफेंस मिनिस्टर

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म Truth Social पर लिखा, “अगर अफगानिस्तान बगराम एयरबेस उन लोगों को वापस नहीं करता जिन्होंने इसे बनाया था, यानी अमेरिका को, तो बहुत बुरी चीज़ें होने वाली हैं.” इसके बाद स्थानीय मीडिया से बात करते हुए अफगान रक्षा अधिकारी फित्रत ने कहा कि कुछ लोग राजनीतिक सौदे के जरिए बेस हासिल करना चाहते हैं, लेकिन “अफ़गानिस्तान की जमीन का एक इंच भी सौदे में नहीं दिया जा सकता. हमें इसकी ज़रूरत नहीं है.”अफगान सरकार ने बाद में आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि देश की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च प्राथमिकता है.

इसलिए ट्रंप चाहिए बगराम एयरबेस

ट्रंप का कहना है कि बगराम एयरबेस चीन के नजदीक होने के कारण सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. ब्रिटेन यात्रा के दौरान पहली बार उन्होंने सार्वजनिक रूप से दोबारा बेस पर नियंत्रण की बात उठाई. जब व्हाइट हाउस में उनसे पूछा गया कि क्या वे इसके लिए अमेरिकी सैनिक भेजने पर विचार कर रहे हैं, तो उन्होंने सीधा जवाब देने से बचते हुए कहा, “हम इस पर अफगानिस्तान से बात कर रहे हैं, और हम इसे जल्द वापस चाहते हैं. अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो सबको पता चल जाएगा कि मैं क्या करने वाला हूं.”

क्या है बगराम का इतिहास क्या है? 

बगराम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी दिलचस्प है. 1950 के दशक में सोवियत संघ की मदद से इसका निर्माण हुआ था. बाद में अमेरिका और सोवियत दोनों ने अलग-अलग दौर में इसका विस्तार किया. 2010 के आसपास यह बेस एक छोटे शहर की तरह बन चुका था, जहां सुपरमार्केट और यहां तक कि बर्गर किंग जैसी दुकानें भी थीं.

इस दौरान बराक ओबामा (2012) और डोनाल्ड ट्रंप (2019) जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति भी यहां का दौरा कर चुके हैं. मानवाधिकार संगठनों ने कई बार आरोप लगाए हैं कि बगराम में अमेरिकी सैनिकों ने “वॉर ऑन टेरर” के दौरान कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया. इन विवादों के बावजूद, ट्रंप इसे अमेरिका के लिए रणनीतिक संपत्ति मानते हैं.

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