वर्ल्ड-रेबीज डे की थीम खास, डब्ल्यूएचओ ने सबकी सहभागिता को बताया अहम

वर्ल्ड-रेबीज डे की थीम खास, डब्ल्यूएचओ ने सबकी सहभागिता को बताया अहम

वर्ल्ड-रेबीज डे की थीम खास, डब्ल्यूएचओ ने सबकी सहभागिता को बताया अहम

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IANS
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Rabies-infected girl bites 40 people before dying in UP village

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 21 सितंबर (आईएएनएस)। इस वर्ष 28 सितंबर को 19वां विश्व रेबीज दिवस मनाया जाएगा। इस बार का थीम एक्ट नाउ: यू, मी एंड कम्युनिटी है। यानि सबको मिलजुलकर इस बीमारी का एक साथ समझदारी से सामना करना है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अपने 19 साल के इतिहास में पहली बार, विश्व रेबीज दिवस की थीम में रेबीज शब्द शामिल नहीं है।

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संगठन का मानना है कि ये थीम ही दर्शाती है कि यह आंदोलन कितना सुस्थापित हो चुका है। चाहे आप एक व्यक्ति हों, किसी संगठन का हिस्सा हों, या निर्णय लेने वाले व्यक्ति हों, आज ही एक्ट करने का समय है।

इस थीम को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बारीकी से समझाया भी है। इसका यू यानि आप का अर्थ खुद कुछ जरूरी कदम उठाने को प्रेरित करता है। कहता है कि अपने कुत्ते का टीकाकरण करवाएं, रेबीज से बचाव के तरीके और इससे होने वाले संक्रमण की रोकथाम के बारे में जागरूक हों, या बेहतर नीतियों की वकालत करें। अगर किसी पालतू या आवारा पशु (बिल्ली, बंदर या कुत्ते जैसे जानवर) ने खरोंचा या काटा है तो तुरंत साबुन-पानी से धोएं फिर अस्पताल जाएं और तुरंत एंटी रेबीज ट्रीटमेंट कराएं।

दूसरा शब्द मी है यानि मैं। संदेश देता है कि मेरा दायित्व या कर्तव्य है कि अपने आस-पास के लोगों को जागरूक करूं। उन्हें बताऊं कि काटने के बाद क्या करना चाहिए और अस्पतालों में इसे लेकर सुविधाएं क्या-क्या हैं?

कम्युनिटी या समुदाय का अर्थ है कि गांव/मोहल्ले में जागरूकता अभियान चलाएं, स्कूलों में बच्चों को सिखाएं, पशु चिकित्सकों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों से मिलकर सुनिश्चित करें कि टीके, इम्युनोग्लोबुलिन आदि सहज उपलब्ध हों।

भारत की बात करें तो, रेबीज एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है। 2024 में, देश में 22 लाख से अधिक कुत्ते के काटने के मामले और 5 लाख से अधिक अन्य जानवरों के काटने के मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से लगभग 20 मामले 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों के थे।

देश की सरकार रेबीज की रोकथाम के लिए वन हेल्थ अप्रोच को बढ़ावा दे रही है, जिसमें मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य के बीच सहयोग को प्राथमिकता दी जाती है। भारत सरकार ने 2030 तक रेबीज मुक्त भारत बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, और इसके लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम (एनआरसीपी) के तहत टीकाकरण, नसबंदी, और जागरूकता अभियानों पर जोर दिया जा रहा है।

किसी जानवर के अटैक को हल्के में लेना बहादुरी नहीं बल्कि लापरवाही हो सकती है। हाल ही की एक दर्दनाक घटना इस पर रोशनी डालती है। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में रहने वाले 22 साल के ब्रजेश सोलंकी, जो कि स्टेट‑स्तर के कबड्डी खिलाड़ी थे, ने मार्च 2025 में एक पिल्ले को नाले से निकालने की कोशिश की थी। इस दौरान पिल्ले ने उन्हें काट लिया, लेकिन ब्रजेश ने इस काटने को मामूली समझ लिया और एंटी‑रेबीज इलाज नहीं कराया।

इस दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय के कारण, जब लक्षण उभरे (पानी से डर, सांस लेने में दिक्कत आदि), तब बहुत देर हो चुकी थी। इलाज संभव नहीं हो पाया और 28 जून को उनका निधन हो गया। इससे स्पष्ट होता है कि जानवर भले ही छोटा हो लेकिन उसके अटैक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। समय पर इलाज जरूरी है।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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