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राजस्थान: गुर्जर समुदाय को मिल सकती है खुशखबरी, विधानसभा में आज बिल पेश होने की उम्मीद

कैबिनेट बैठक के बाद पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कल विधानसभा में बड़ा निर्णय होगा. उन्होंने कहा कि बुधवार को सदन में नया विधेयक लाया जा सकता है.

Updated on: 13 Feb 2019, 12:03 AM

जयपुर:

राजस्थान सरकार राज्य की नौकरी और शिक्षण संस्थानों में गुर्जर समुदाय को 5 फीसदी आरक्षण देने के लिए बुधवार को विधानसभा में प्रस्ताव पेश कर सकती है. गुर्जर समुदाय प्रदेश में नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 5 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर पिछले 5 दिनों से आंदोलन कर रही है जिसके कारण राज्य की यातायात पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है. मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में गुर्जर समुदाय की मांगों को लेकर मंत्री परिषद की बैठक हुई.

कैबिनेट बैठक के बाद पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कल (बुधवार) विधानसभा में बड़ा निर्णय होगा. उन्होंने कहा कि बुधवार को सदन में नया विधेयक लाया जा सकता है.

मंत्री शांति धारीवाल ने बैठक के बाद कहा कि गुर्जर आरक्षण के लिए पटरी को छोड़कर बातचीत के लिए आएं. पहले भी उनकी मांगों का समाधान निकला है. इन सब तरीके से आंदोलन चलाना सही तरीका नहीं है.

वहीं खेल मंत्री अशोक चांदना ने कहा कि कल (बुधवार) विधानसभा में गुर्जरों को खुशखबरी मिलेगी. विधानसभा में गुर्जरों की मांगों का समाधान हो जाएगा. कल के बाद कोई रास्ता जाम नहीं होगा, गुर्जर समाज को बड़ा फायदा मिलेगा.

बैठक में उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित सभी मंत्री और मुख्य सचिव डी बी गुप्ता व अन्य अधिकारी भी मौजूद थे.

गुर्जरों द्वारा जारी आंदोलन के कारण मंगलवार को हिंडौन से बयाना व भरतपुर के लिए भी सड़क मार्ग बंद हो गया. पिछले 5 दिनों से हिंडौन रेलवे स्टेशन से ट्रेनों का संचालन बंद है.

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कर्नल किरोड़ी सिंह मीणा के नेतृत्व में गुर्जर समुदाय के लोग मलारना और निमोदा रेलवे स्टेशनों के बीच रेल पटरी को लगातार बाधित किए हुए हैं, जिसके कारण मुंबई-दिल्ली मार्ग पर रेल गाड़ियों का संचालन बाधित है.

गुर्जर संघर्ष समिति (जीएसएस) के नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने कहा है कि हम अपने समुदाय के लिए उसी तरह पांच फीसदी आरक्षण चाहते हैं, जिस तरह केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है. सरकार की ओर से हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है. कोई हमसे बातचीत करने भी नहीं आया है, इसलिए हमें मजबूरन यह कदम उठाना पड़ा है.