थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है. थैलेसीमिया दो तरह के होते है. एक मेजर और दूसरा माइनर होता है.
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इसमें हीमोग्लोबिन का लेवल गिर जाता है. यह एक ब्लड डिसऑर्डर होता है.
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अगर आपके पैरेंट्स में थैलेसीमिया माइनर हैं, तो 25% तक चांस है कि बच्चों में थैलेसीमिया मेजर होता है.
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इस बीमारी में हड्डियां में सही तरह से ग्रोथ नहीं हो पाती है. बच्चों की ग्रोथ भी स्लो हो जाती है.
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साथ ही चेहरे की हड्डियों में दिक्कत होती है. इसके साथ ही यूरीन का रंग गाढ़ा होता है.
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साथ ही हमेशा थकान लगी रहती है. वहीं स्किन का रंग पीला पड़ जाता है.
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इसके इलाज के लिए लगातार दवाइयां खानी पड़ती है. साथ ही इसमें सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है.
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अगर थैलेसीमिया मेजर हो तो हफ्ते में दो से तीन हफ्ते तक ब्लड़ चढ़वाना पड़ता है.
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