चाणक्य एक महान राजनीतिज्ञ और धार्मिक आचार्य थे, जिन्हें 'कौटिल्य' नाम से जाना जाता था

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अगली कुछ तस्वीरों में जानें चाणक्य की संपत्ति से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें

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"धनं धार्मिकमात्मानं सौख्यार्थं च प्रवर्तकम्।" यानी कि धन, धार्मिकता और स्वार्थ प्रेरणा के लिए हो

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"धनं धर्मिकमात्मानं नित्यं संचिन्वताम्।" यानी कि धन को नियमित रूप से संचित करना चाहिए

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"परपीड़नं हि धनस्य पापं निर्दयता व्यये।" यानी कि धन का अन्यों की पीड़ा के लिए उपयोग करना पाप है

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"अप्ते धनं समारब्धं सम्पदा सुप्रवर्तते।" यानी कि धन को उपयुक्त तरीके से प्रबंधित करना चाहिए

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"धनं धर्मस्य सहायो धर्मो धनस्य साधनम्।" यानी कि धन को धार्मिक कार्यों के लिए ही इस्तेमाल करना चाहिए

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"यस्य धनं तु कामाये चाप्यपश्यंति मन्मतम्।" यानी कि धन को ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त किया जा सकता है

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"धनं विना न मनुष्यः शक्तो धर्मपथे स्थितुम्।" यानी कि धन के बिना मनुष्य धर्म के मार्ग पर नहीं रहता

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"अधनस्य महान् पापे स्नेहस्य महता फलम्।" यानी कि अपराध का फल धन के बिना भी बहुत भयंकर होता है

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"धनं विहाय सम्प्रेक्ष्य धर्मं यच्छति पाण्डवः।" यानी कि पाण्डव धन को छोड़कर धर्म का अनुसरण करते हैं

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"आप्तं धनं विना न भूयात्।" यानी कि विश्वासपात्रों के बिना धन का मूल्य नहीं होता

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