जगन्नाथ मंदिर की रसोई में रोज़ाना 56 भोग बनते हैं

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भोग के बाद यही महाप्रसाद मंदिर परिसर में मौजूद आनंद बाजार में बिकता है

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इस रसोई में 15 मिनट में 17000 हजार लोगों के लिए खाना बनाया जाता है

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दिन में 06 बार भगवान जगन्नाथ को भोग लगाया जाता है

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आयुर्वेद के मुताबिक भगवान के भोग में होने वाले 6 रसों का खासा ध्यान रखा जाता है

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खाने में मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़ना और कसैला स्वाद होता है

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कम से कम 10 तरह की मिठाईयां भोग में शामिल होती हैं

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सब्जियों में मूली, देशी-आलू, केला, बैंगन, सफेद और लाल कद्दू, कन्दमूल, परवलत, बेर, अरवी नहीं बनते

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इस रसोई में मूंग, अरहर, उड़द और चने की दाल ही बनाई जाती है

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जगन्नाथ भगवान को लगाए जाने वाला ये भोग पूरी तरह से सात्विक होता है,

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भोग में लौंग, आलू, टमाटर, लहसुन, प्याज तथा फूल गोभी का इस्तेमाल नहीं किया जाता

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महाप्रसाद बनने के बाद सबसे पहले माता पार्वतीजी को भोग लगाया जाता है

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भगवान के समक्ष भोग ग्रहण नहीं किया जाता

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